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२०१५ रग्बी यूनियन विश्व कप. २०१५ रग्बी यूनियन विश्व कप, रग्बी यूनियन विश्व कप का आठवाँ संस्करण था। यह इंग्लैंड में १८ सितंबर से ३१ अक्टूबर २०१५ को आयोजित किया गया। इसमे बीस टीमो ने भाग लिया था।
टूर्नामेंट का फाइनल न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच था, और न्यूज़ीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया को ट्विकेनहैम मे खेले गए फाइनल मे 34-17 से पराजित कर २०१५ रग्बी यूनियन विश्व कप जीता। यह न्यूज़ीलैंड की तीसरी विश्व कप जीत थी। वे विश्व कप वापस जीतने के लिए पहली टीम बन गए।
मैच के स्थान.
तेरह स्थानों की दो समर्पित रग्बी यूनियन के मैदान है (किंग्सहोल्म स्टेडियम और सैंडी पार्क), दो राष्ट्रीय रग्बी स्टेडियम हैं (ट्विकेनहैम और मिलेनियम स्टेडियम), दो बहुउद्देश्यीय स्टेडियमों हैं (वेम्बली स्टेडियम और ओलम्पिक स्टेडियम), और शेष फुटबॉल के मैदान हैं।
स्रोत: "टेलीग्राफ समाचार पत्र"
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ली श्यूरुई. ली श्यूरुई (Li Xuerui) (जन्म: जनवरी २४, १९९१ चौंगक़्विंग में) चीन की एक सेवानिवृत्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और अपने समय की सफ़लतम खिलाड़ियों में गिनी जाती हैं। वे लंबे समय तक शीर्ष वरीय खिलाड़ी रहीं और २०१२ की ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता हैं। २०१३ विश्व बैडमिंटन प्रतियोगिता में वह उपविजेता रह चुकी हैं।
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मूठली. मूठली राजस्थान के बाड़मेर जिले की सिवाना तहसील में बसा एक गाँव है।
अवस्थिति.
मूठली राजस्थान के बाड़मेर जिले की सिवाना तहसील में बालोतरा-जालोर राजमार्ग पर बसा हुआ है। सिवाना से 17 कि॰मी॰ और बालोतरा से 18 कि॰मी॰ व ब्रह्माजी मंदिर ब्रह्मधाम आसोतरा से मात्र 5 कि॰ की दूरी पर है। यहां से राज्यमार्ग 38 व राष्ट्रिय राजमार्ग 325 भी गुजरता है।
जनसांख्यिकी.
गाँव की कुल जनसंख्या 2976 है जिसमें 1612 पुरुष और 1364 महिलायें है।
अन्य.
कहा जाता है कि इसका गौरवमयी इतिहास रहा है। इसका अंदाजा गाँव में प्रवेश करते ही तालाब के किनारे बनी छतरियों (थान) से लग जाता है। यहाँ के कई वीर योद्धाओं ने गौ, ब्राह्मण व मातृभूमि के लिए बलिदान किये है। जो जुंजार भोमियाजी व मामाजी के नाम से पूजे जाते है। मूठली भायलों के मुख्य 12 गाँवों में से एक है। राजपूतों में भायलों के अलावा धांधल राठौड़, महेचा राठौड़, धवेचा राठौड़, चौहान और परमारों के भी काफी घर हैं। इनके अलावा राजपुरोहितो के भी काफी घर है। सुथार, नाई, देवासी, जैन, भील, मेघवाल और हरिजनों के लोग भी रहते है यंहा पर। शिक्षा के क्षेत्र में यंहा पर कुल मिलाकर 5 विद्यालय है जिनमे एक निजी व चार सरकारी है। बड़ी स्कूल 12वीं तक है जिसमे करीबन 800 विद्यार्थी पढ़ते है। खेल जगत में भी यंहा की अच्छी पहचान है। कई युवक राज्य स्तरीय खेलो में भाग ले चुके है। खेलने के लिए क्रिकेट, वॉलीबॉल और बास्केटबॉल के मैदान भी है। जिनमे हाई स्कूल के मंगलाराम जी अध्यापक का अच्छा योगदान रहा है। राजनेतिक दृष्टि में 2015 से पहले मूठली और थापन की मिलाकर ग्राम पंचायत थी लेकिन 2015 के बाद मूठली की अलग से पंचायत बनी है जिसका पहला सरपंच चुन्नीलाल भील बना। यंहा पर एक शिव मंदिर है जंहा पर श्री खेताराम जी ने अपने जीवन का कुछ समय बिताया था उनके समय का एक धुणा अभी भी विद्यमान है। यंहा पर हर त्यौहार अच्छी तरह से व मिलजुल कर मनाया जाता है जिसमे यंहा के कुछ युवको की अच्छी भागीदारी रहती है। व्यापारिक दृष्टि से भी यह गाँव सुदृढ़ है लगभग छोटी बड़ी वस्तु यंही मिल जाती है। यंहा के कई लोग प्रदेशो में व्यापार करते है।
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वास्तविकता अध्यापन. वास्तविकता अध्यापन या वास्तविकता शिक्षणशास्त्र (Reality pedagogy) शिक्षण की एक पद्धति है जिसका विकास क्रिस्टोफर एमदिन (Christopher Emdin) ने किया है। वे कोलम्बिया विश्वविद्यालय के टीचर्स कॉलेज के गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक हैं। यह विधि अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को 'गहराई से समझने' पर आधारित है। शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी को पहचानता है और यह भी जानता है कि वह कहाँ से आया है ('कहाँ' से तात्पर्य छात्रों के समुदाय, उनकी संस्कृति, आदि से है।) इन सूचनाओं को आधार बनाकर शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ाता है।
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दंगल. दंगल से जुड़े लेख निम्न हैं:-
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दंगल (फ़िल्म). दंगल एक भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसका निर्माण आमिर खान ने किया है। इसका निर्देशन और लेखन का कार्य नितीश तिवारी ने किया है। इस फ़िल्म में मुख्य किरदार में आमिर खान, साक्षी तंवर, फ़ातिमा सना शेख, ज़ायरा वसीम, सान्या मल्होत्रा और सुहानी भटनागर हैं। यह फ़िल्म 23 दिसम्बर 2016 को सिनेमाघरों दंगलमप्रदर्शित हुई। दंगल ने लाइफटाइम ₹2207.3 करोड़ का जबरदस्त कलेक्शन किया और भारत की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई। दुसरे पायदान पर है जिसने ₹1850 करोड़ कि कमाई की है।
कहानी.
महावीर सिंह फोगाट पहले एक पहलवान रहता है, लेकिन अच्छी नौकरी के लिए कुश्ती छोड़ दिया रहता है। इस कारण भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का उसका सपना भी अधूरा रह जाता है। इसके बाद वह सोचता है कि उसका अधूरा सपना उसका बेटा पूरा करेगा। लेकिन उसके घर लगातार चार बेटियों के होने से वह निराश हो जाता है। क्योंकि उसे लगता है कि लड़कियों को कुश्ती नहीं बल्कि घर के कार्यों को सीखना चाहिए। लेकिन जब उसकी बड़ी बेटियाँ, गीता फोगाट और बबीता फोगाट मिल कर उन पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले लड़कों को पीट कर आ जाते हैं तो उसे उनमें भविष्य का पहलवान दिखाई देता है।
महावीर उन दोनों को कुश्ती सिखाने लगता है। उसके द्वारा कठोर तरीकों से सीखना, बाल छोटे-छोटे कटवाना, सुबह सुबह कसरत करना आदि से शुरू में उन लड़कियों को अपने पिता के ऊपर बहुत क्रोध आते रहता है, पर जल्द ही उन्हें यह एहसास हो जाता है कि उनके पिता उन्हें केवल गृहणियों के रूप में जीवन बिताने के लिए नहीं बल्कि देश के लिए कुछ कर दिखाने के लिए यह सब कर रहे हैं। इसके बाद वो दोनों खुशी से महावीर से कुश्ती के दांव-पेंच सीखते हैं। महावीर उनको प्रतियोगिता में भी ले जाता है, जिसमें गीता और बबीता मिल कर कई लड़कों को हरा देते हैं। प्रतियोगिताओं को जीतते हुए गीता को पटियाला में प्रशिक्षण लेने का मौका मिलता है। जिसके बाद वह कॉमनवैल्थ खेलों में हिस्सा ले सकेगी।
गीता उस संस्थान में जाने के बाद अपने दोस्तों के साथ मिल कर अनुशासन की उपेक्षा करने लगती है। वह हर समय टीवी देखती, सड़क पर मिलने वाले खाने खाती और लंबे बाल रखती थी। उस संस्थान के शिक्षक का तकनीक उसके पिता के तकनीक से थोड़ा अलग था, और गीता को लगता था कि उसके शिक्षक का तकनीक उसके पिता के तकनीक से बहुत अच्छा है जबकि उसके पिता की तकनीक पुरानी हो चुकी है। वह घर लौट आती है तो वह उसके पिता के सिखाये तकनीक के स्थान पर संस्थान में सिखाये तकनीक से मुक्केबाज़ी करती है। इसके बाद महावीर और गीता में मुक्केबाजी होती है और अपने बढ़ती उम्र के कारण महावीर उससे हार जाता है। बबीता अपने बहन गीता से कहती है कि वह अभी जिस स्थान पर है, वह उसके पिता के तकनीक के कारण है और उसे अपने पिता के तकनीक को नहीं भूलना चाहिए।
गीता की तरह बबीता भी उस संस्थान में चले जाती है। गीता लगातार हर मैच हारते रहती है, क्योंकि वह अपने पिता द्वारा सिखाये गए तकनीक या कुश्ती में पूरी तरह ध्यान नहीं देते रहती है। उसने अपने नाखून बढ़ा लिए रहते हैं और रंग भी लगा रखा होता है साथ में अपने बालों को भी काफी लंबा रखें होने कारण भी उसे हार का सामना करना पड़ते रहता है। उसे अपनी गलती का एहसास हो जाता है और वह इस बात को महावीर को बताती है। महावीर उसके संस्थान में आ कर उन दोनों को प्रशिक्षण देने लगता है। लेकिन उस संस्थान में प्रशिक्षण सिखाने वाले को जब इस बात का पता चलता है तो वह उन दोनों को बाहर निकालने हेतु शिकायत कर देता है। उसके बाद यह निर्णय हुआ कि उन दोनों को संस्थान में तभी रखा जा सकता है जब महावीर संस्थान में न आए और उन दोनों को कहीं कोई प्रशिक्षण न दे। इसके बाद महावीर गीता के पुराने वीडियो को देखता है जिसमें वह हार जाये रहती है और फोन के द्वारा गीता को उसके गलती के बारे में बताता है।
कॉमनवैल्थ खेलों में गीता हिस्सा ले लेती है और महावीर उसके कोच के निर्देशों के विपरीत दर्शकों के साथ बैठ जाता है। गीता अपने कोच के सिखाए तरीकों से न लड़ कर अपने पिता के सिखाये तरीकों से लड़ती है और हर बार जीत जाती है। उस कोच को महावीर से जलन होने लगती है और इस कारण वह महावीर को एक कमरे में बंद कर देता है। महावीर के अनुपस्थिति में भी गीता स्वर्ण पदक जीत जाती है और भारत की पहली महिला पहलवान बन जाती है, जिसने स्वर्ण पदक जीता।
सही समय पर महावीर वहाँ से निकल आता है और समाचार मीडिया के सामने वह कोच अपना श्रेय नहीं ले पाता है। इसके बाद फिल्म के अंत होने से थोड़ा पहले दिखाया जाता है कि बबीता भी कॉमनवैल्थ खेल 2014 में स्वर्ण पदक जीत जाती है और गीता पहली महिला पहलवान बनती है जो ओलिंपिक्स में हिस्सा लेती है।
निर्माण.
पात्र चुनाव.
अप्रैल 2015 को फातिमा साना शेख और सन्या मल्होत्रा को महावीर फोगत के पुत्री के किरदार के लिए चुना गया। जून 2015 को बाल कलाकार में ज़रीना वसीम को जम्मू कश्मीर और सुहानी भटनागर को दिल्ली से लिया गया। आयुष्मान खुराना के भाई अपरशक्ति खुराना भी इस फ़िल्म से जुड़ गए। विक्रम सिंह इस फ़िल्म में एक खलनायक की भूमिका में दिखाई देंगे। दंगल के लिए आमिर ने अपना कुछ किलो वजन बढ़ाया और साथ ही हरियाणवी भाषा सीखी।
फिल्मांकन.
इसके फिल्मांकन का कार्य 1 सितंबर 2015 से शुरू हुआ। इस फिल्म के स्थल को लुधियाना के गांवों में रखा गया और उसे हरियाणवी रूप दिया गया। इसके बाद फिल्माने का कार्य किला रायपुर, पंजाब और हरियाणा में किया गया। सितंबर 2015 और दिसंबर 2015 के मध्य आमिर खान ने अपना 9% चर्बी से बढ़ा कर 30% चर्बी करके अपना वजन 97 किलो कर दिया और वापस फिल्म के शुरुआत वाले दृश्यों के लिए जिसमे उन्हें युवा महावीर फोगाट को दर्शाना था उसके लिए अपना वजन वापिस 97 किलो से 70किलो कर लिया।
संगीत.
फिल्म के लिए संगीत प्रीतम ने दिया है और बोल अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं।
आलोचनात्मक स्वीकार्यता.
समीक्षा एग्रीगेटर वेबसाइट रॉटेन टमेटोज़ की रिपोर्ट है कि फ़िल्म को 88% अनुमोदन रेटिंग प्राप्त है, जो आलोचकों द्वारा १७ समीक्षाओं के आधार पर, 10 में से 8.1 के औसत स्कोर के साथ है। चीनी वेबसाइट डौबन पर चार लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं द्वारा मूल्यांकन किए जाने पर, यह 10 में से 9.1 की रेटिंग रखता है।
आलोचकों ने अक्सर दंगल में विषय वस्तु के चित्रण की प्रशंसा की। फिल्मफेयर पत्रिका के रचित गुप्ता ने फिल्म को "हर अर्थ में परिपूर्ण" बताते हुए इसे पूर्ण पांच सितारा रेटिंग दी। उन्होंने आगे कहा, "फिल्म का निर्देशन और लेखन इतना आकर्षक है कि यह दर्शकों को खड़े होने और तालियां बजाने के लिए प्रेरित करता है। शानदार संपादन और फिल्म निर्माण तकनीक के अलावा, दंगल में कुश्ती के मैच हैं जो प्रामाणिक और वास्तविक हैं।" द टाइम्स ऑफ इंडिया की मीना अय्यर ने इसे "प्रेरणादायक और मनोरंजक" कहा और पांच सितारा रेटिंग में से साढ़े चार से सम्मानित किया। द इंडियन एक्सप्रेस की शुभ्रा गुप्ता ने पांच में से तीन स्टार रेटिंग दी और कहा कि फिल्म ने दो मापदंडों पर काम किया: यह एक "एक लोकप्रिय खेल के बारे में एक सरल फिल्म है" और "लड़कियों के बारे में मजबूत नारीवादी बयान, यदि बेहतर नहीं है, तो एक ऐसे क्षेत्र में जो उन्हें कभी नहीं देखा गया है, अकेले ही स्वीकार किया जाता है।" एनडीटीवी के सैबल चटर्जी ने फिल्म को पांच में से चार स्टार दिए और इसे "बेहद मनोरंजक खेल गाथा" कहा, यह बताया कि अन्य बॉलीवुड फिल्मों के विपरीत, दंगल "मेलोड्रामैटिक फलने-फूलने के मामले में टूट नहीं जाता" और वह यह "प्रदर्शनकारी छाती थपथपाने और झंडा लहराने" से परहेज करता है। उन्होंने महसूस किया कि यह "हास्य के साथ तीव्रता, और तमाशा के साथ अंतरंगता, पूर्णता के साथ मिश्रित है।"
इंडिया टुडे की अनन्या भट्टाचार्य ने पांच सितारा रेटिंग में से चार दिए और लिखा, "झगड़े, भावनात्मक उथल-पुथल, बाप-बेटी के झगड़े, दंगल में केंद्र-मंच लेते हैं।" उन्होंने आगे कहा, "तिवारी बॉलीवुड स्पोर्ट्स फिल्मों की किताब में हर एक ट्रॉप का उपयोग करते हैं... एक ताजगी और विशेषज्ञता के साथ जो शायद ही कभी देखी जाती है।" फिल्म को पूर्ण पांच सितारों से सम्मानित करते हुए, डेक्कन क्रॉनिकल के रोहित भटनागर ने इसे "एक अपरिहार्य महाकाव्य" कहा। कथा को "मूल से आकर्षक" बताते हुए, उन्होंने चक दे! इंडिया से तुलना की। रीडिफ.कॉम की सुकन्या वर्मा ने महसूस किया कि दंगल "उन कुछ फिल्मों में से एक थी जो रणनीति और तकनीक पर इस तरह से चर्चा करती है जो समझने में आसान और मनोरंजक हो"। इसे "उत्साहजनक रचना" कहते हुए और अभिनय प्रदर्शनों की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने लिखा, "झगड़ों की कच्ची, खुरदरी, आंत की कोरियोग्राफी ... बहुत विस्मय पैदा करती है"। हॉलीवुड रिपोर्टर की लिसा त्सेरिंग ने महसूस किया कि फिल्म "भावनात्मक अनुनाद, तकनीकी कलात्मकता और सम्मोहक प्रदर्शन" से प्रेरित है, जबकि यह कहते हुए कि "यह देखना बहुत रोमांचकारी है। न केवल पारिवारिक दृश्य सच होते हैं, बल्कि तिवारी कुश्ती के दृश्यों को बुद्धिमत्ता के साथ देखते हैं और संवेदनशीलता।"
सभी प्रमुख अभिनेताओं के अभिनय प्रदर्शन की सराहना करते हुए, अधिकांश आलोचकों ने खान के प्रदर्शन की प्रशंसा की। खलीज टाइम्स की दीपा गौरी ने लिखा है कि खान "इतना गंभीर और प्रेरित प्रदर्शन करते हैं कि [यह] भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे बेहतरीन में से एक के रूप में याद किया जाएगा।" मैटलैंड मैकडोनाग ने फिल्म जर्नल इंटरनेशनल के लिए लिखा है, "गीता और बबीता का किरदार निभाने वाली सभी चार अभिनेत्रियां आश्चर्यजनक रूप से अच्छी हैं, और खान बेहद त्रुटिपूर्ण महावीर के रूप में सामने आते हैं। "वास्तव में शानदार प्रदर्शन", जबकि "दंगल' की लड़कियां एक वास्तविक खोज हैं।" हिंदुस्तान टाइम्स के रोहित वत्स ने इसे "अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन" कहा। रीडिफ.कॉम के राजा सेन ने महसूस किया कि खान का चरित्र "आकर्षक और त्रुटिपूर्ण दोनों" था और उन्होंने कहा कि वह "एक विजेता है जो अपने विश्वासों के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त है जो उसके चारों ओर की दुनिया को उसकी इच्छा के अनुसार मोड़ देता है। यह एक जीवन भर का प्रदर्शन है"। द हिंदू के बाराद्वाज रंगन ने अपने निजी ब्लॉग में उल्लेख किया कि खान ने चरित्र की विरोधाभासी प्रकृति को "खूबसूरती से" लाया और इसे "उनके बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक" कहा। सलमान रुश्दी का मज़ाकिया संस्करण ... एक चुस्त-दुरुस्त मुखौटा के साथ, [वह] भावनाओं को संप्रेषित करने के सौ तरीके खोजता है।"
फिल्म में विरोधियों का हिस्सा था, जिन्होंने कथा और प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए महसूस किया कि फिल्म में चित्रित नारीवाद की अवधारणा त्रुटिपूर्ण थी। उन्होंने बताया कि पहलवान-पिता देश के लिए पदक जीतने के अपने लक्ष्य की खोज में अपनी बेटियों को उनकी इच्छा के विरुद्ध प्रशिक्षित करते हैं। द हिंदू के लिए समीक्षा करते हुए, नम्रता जोशी ने लिखा है कि फिल्म "नारीवादी कवच में खामियों" को छिपाने के उद्देश्य के बावजूद, इसकी "कठिनाई और जटिलताओं" का पता नहीं लगाती है और केवल "आसान राष्ट्रवादी कालीन के नीचे ढक दिया" "व्यक्ति से पहले राष्ट्र" तर्क के साथ सब कुछ सही ठहराना। उन्होंने फिल्म में चित्रित "पितृसत्ता के कथित पतन के आसान उत्सव" की शिकायत की और कहा कि "पुरुष वास्तव में अभी भी बहुत अधिक नियंत्रण में हैं।" इस विचार को वर्तिका पांडे ने अपने "फेमिनिस्ट रीडिंग" में प्रतिध्वनित किया था, जिसने लिखा, "दंगल अंत में एक कुलपति के बारे में एक फिल्म है जो महिलाओं को "सशक्त" करती है और जाहिर तौर पर सभी प्रशंसा लेती है।" ऑनलाइन ने देखा कि "महिलाओं का उत्थान अभी भी एक अधूरे पुरुष सपने की अभिव्यक्ति है। यह पुरुष कोच है जो सच्चे नायक के रूप में उभरता है, न कि महिला।" चीनी दर्शकों ने फिल्म से मुलाकात की, जहां रिलीज के बाद, नारीवाद पर एक नई बहस शुरू हुई। एक दर्शक ने शिकायत की कि फिल्म "पितृसत्ता और पुरुष वर्चस्ववाद का प्रतीक है"।
फिल्म के अन्य क्षेत्रों में भी आलोचना का निर्देशन किया गया था जैसे कि अकादमी में कोच का चरित्र चित्रण। मिंट के उदय भाटिया ने महसूस किया कि यह "अक्षम और प्रतिशोधी" था। राजीव मसंद ने महसूस किया कि यह "घटिया" था और "फिल्म के अंतिम कार्य में मोड़ ... पूरी तरह से असंबद्ध" के रूप में सामने आया। द वायर के तनुल ठाकुर ने भी महसूस किया कि कोच को "एक कैरिकेचर में कम कर दिया गया" और "वह केवल इसलिए मौजूद है क्योंकि आमिर एक नायक बन सकता है।" ठाकुर ने लिखा है कि फिल्म का दूसरा भाग "दोहराव और फूला हुआ" था और यह "घिसा-पिटा...अनावश्यक रूप से नाटक को इंजेक्ट करने की कोशिश" का उपयोग करता है।
विवाद.
राजनैतिक विवाद.
दंगल की भारत में रिलीज पर राजनीतिक विवाद हुआ था। नवंबर 2015 में, खान ने भारत में बढ़ती असहिष्णुता के बारे में अपनी और किरण की भावनाओं को व्यक्त किया, जिसके कारण खान को हिंसक धमकियों सहित टिप्पणियों के लिए तीव्र प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा। खान की टिप्पणियों के खिलाफ निरंतर प्रतिक्रिया के हिस्से के रूप में, दंगल के खिलाफ विरोध और बहिष्कार का आह्वान किया गया था। अक्टूबर 2016 में, विश्व हिंदू परिषद ने फिल्म के खिलाफ विरोध का आह्वान किया। दिसंबर 2016 में रिलीज होने के बाद, ट्विटर पर #BoycottDangal ट्रेंड कर रहा था, और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने फिल्म के खिलाफ विरोध का आह्वान किया।
पाकिस्तान में इसकी रिलीज को लेकर भी विवाद हुआ था। इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईएमपीपीए) द्वारा पाकिस्तानी फिल्म कलाकारों और तकनीशियनों को भारतीय फिल्मों में काम करने से प्रतिबंधित करने के जवाब में, पाकिस्तानी थिएटर मालिकों और प्रदर्शकों ने अस्थायी रूप से भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन पर रोक लगाकर प्रतिक्रिया दी। खान की लोकप्रियता के कारण, हालांकि, दंगल को पाकिस्तान में रिलीज करने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड ने मांग की कि भारतीय ध्वज और भारतीय राष्ट्रगान वाले दृश्यों को छोड़ दिया जाए। खान ने इनकार कर दिया, और इस तरह फिल्म पाकिस्तान में रिलीज नहीं हुई, जहां इसे ₹12 करोड़ तक की कमाई की भविष्यवाणी की गई थी।
पुरस्कार विवाद.
2017 में 64 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पर विवाद हुआ, जिसे समिति ने दंगल के लिए आमिर खान के प्रदर्शन के बजाय रुस्तम में उनके प्रदर्शन के लिए अक्षय कुमार को सम्मानित किया। समिति के सदस्य प्रियदर्शन, जिन्होंने कई फिल्मों में कुमार के साथ काम किया है, ने खान के बजाय कुमार को पुरस्कार देने के लिए निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिया:हमें आमिर खान को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार क्यों देना चाहिए था जबकि उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं होते हैं? अगर वह सम्मान स्वीकार नहीं करना चाहते हैं, तो उन्हें सम्मानित करने का क्या मतलब है? आजकल, हमने लोगों को अपने पुरस्कार लौटाते देखा है। हम वह जोखिम नहीं उठाना चाहते थे।इसी तरह 18वें आईफा अवॉर्ड्स में भी दंगल को अवॉर्ड नहीं दिया गया था, जहां कुमार को भी अवॉर्ड नहीं दिया गया था. IIFA अवार्ड्स के आयोजकों के अनुसार:तो मूल रूप से, आइफा में, विभिन्न प्रोडक्शन हाउसों को फॉर्म भेजे जाते हैं। वे उन फॉर्मों को भरकर हमें वापस भेज देते हैं। फिर उन फॉर्मों को वोटिंग के लिए उद्योग में रखा जाता है और वहां से यह नामांकन बन जाता है। इसलिए, दंगल ने उनकी एंट्री नहीं भेजी है। हम चाहेंगे कि दंगल इसका हिस्सा बने। मुझे लगता है कि यह एक ऐसी फिल्म है जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। हम आमिर खान और दो छोटी लड़कियों से प्यार करते हैं। उन्होंने बहुत अच्छा कार्य किया है। लेकिन दुर्भाग्य से, उन्होंने अपनी प्रविष्टि नहीं भेजी।
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ट्विकेनहैम स्टेडियम. ट्विकेनहैम स्टेडियम जिसे कई बार केवल ट्विकेनहैम भी कहा जाता है, ट्विकनहम, लंदन में स्थित रग्बी यूनियन स्टेडियम है। इसकी क्षमता ८२,००० है। यह १९०९ में खोला गया था। स्टेडियम में आम तौर पर प्रमुख रग्बी यूनियन माचिस जैसे प्रीमियरशिप फाइनल, एंग्लो-वेल्श कप फाइनल और इंग्लैण्ड राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम के घरेलू मैचों कि मेजबानी होती है। यह इंग्लैण्ड का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है, केवल वेम्बली स्टेडियम के पीछे और केवल रग्बी यूनियन के उपयोग का संसार में सबसे बड़ा स्टेडियम।
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मिलेनियम स्टेडियम. मिलेनियम स्टेडियम (वेल्श: Stadiwm Y Mileniwm) कार्डिफ में स्थित वेल्स का राष्ट्रीय स्टेडियम है। यह वेल्स राष्ट्रीय रग्बी यूनियन टीम का घर है और वेल्स की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम के मैच की मेजबानी भी करता है। स्टेडियम जून १९९९ में खोला गया था, और इसका पहला प्रमुख कार्यक्रम २६ जून १९९९ पर एक अंतरराष्ट्रीय रग्बी यूनियन मैच था, वेल्स और दक्षिण अफ्रीका के बीच। यह वेल्स में सबसे बड़ा स्टेडियम है।
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प्यार को हो जाने दो. प्यार को हो जाने दो एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है। जिसका निर्माण एकता कपूर और शोभा कपूर ने किया है। इसका प्रसारण सोनी पर 12 अक्टूबर 2015 से शुरू होने वाला है। इसमें मुख्य किरदार में इक़बाल खान और मोना सिंह हैं।
कहानी.
यह कहानी ईशान (इक़बाल खान) और प्रीत (मोना सिंह) की है। जिनके तीन बच्चे तृशा, नीति और सिड हैं। ईशान और प्रीत अपने परिवार को हमेशा एक करके रखते हैं। लेकिन उनकी ज़िम्मेदारी के कारण उनका प्यार लुप्त हो जाता है। उनका परिवार उनके प्यार को फिर से लाने की कोशिश करता है।
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निरंजन ज्योति. साध्वी निरंजन ज्योति (जन्म : १९६७) भारतीय जनता पार्टी की एक राजनेता हैं। वर्तमान में वे फतेहपुर से लोकसभा सांसद हैं। नवम्बर २०१४ में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का राज्य मन्त्री बनाया गया था। वह अर्धकुम्भ 2019 में महामण्डलेश्वर भी थीं। लोकसभा चुनाव 2014 में 1,87,206 वोटों के अंतराल से इन्होंने बहुजन समाज पार्टी के अफ़ज़ल सिद्धीक को हराया था। इसके पूर्व इनका राजनैतिक सफर हमीरपुर जिले से कुरारा क्षेत्र के प्रमुख कार्यकर्ता रहे बृजकिशोर गुप्ता, सुनील पाठक, ग्राम झलोखर के अर्चना द्विवेदी तत्कालीन भाजपा जिला उपाध्यक्ष (2012) आदि के साथ प्रारम्भ हुआ ।
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लिथियम एसीटेट. लिथियम एसीटेट (CH3COOLi) लिथियम का नमक और एसिटिक अम्ल है।
उपयोग.
इसका उपयोग प्रयोगशाला में डीएनए और आरएनए का जेल वैद्युतकणसंचलन में होता है। इसकी विद्युत चालकता कम होती है।
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जलीय विलयन. जलीय विलयन जल में विलायक को मिला कर बनाया गया एक प्रकार का विलयन होता है। अर्थात जल से बनाया जाने वाला विलयन या ऐसा पदार्थ जो जल में पूर्ण रूप से घुलनशील है। उदाहरण के लिए सोडियम जल से क्रिया कर पूर्ण रूप से घुल जाता है। इसे रासायनिक अभिक्रिया के दौरान (aq) लिख कर दर्शाते हैं।
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हिंगलाज मंदिर बाड़ी. ऐसी मान्यता है कि जब भगवान श्री राम ने वन प्रस्थान किया तो वह श्रृंगवेरपुर से गंगा पार कर कुरई जो कि अब कौशाम्बी जिले में है, कुरई होते हुए श्री राम चरवा आए जहां उन्होंने हिंगुलाज माता के दर्शन किए एवं रात्रि विश्राम किया। श्री राम ने जिस ताल में अपने हाथ पैर और चरण धोए वह राम जूठा तालाब, भगवान राम जानकी मंदिर एवं हिंगलाज माता मंदिर कौशाम्बी के चरवा गांव में आज भी विद्यमान है। राजमार्ग क्र०12 पर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से जबलपुर की और 100 किo मीo की दूरी पर ऐतिहासिक नगर बाडी में स्थित "माॅ हिंगलाज शक्ति पीठ" बारना नदी (नर्मदापुराण में इसका नाम वरूणा नर्मदा की सहायक नदी के रूप में उल्लेख हैं) के उत्तरतट पर खाकी अखाडा के सिद्ध महन्तो की तपस्थली के समीप स्थित है। महन्त परम्परा का इतिहास "माँ हिंगलाज मन्दिर" स्थापना की पुष्टि करता है। खाकी अखाडा के महन्तगण सोरोजी की तीर्थयात्रा पर जाते रहे है। सोरोजी के पण्डा श्री प्रेमनारायण के द्वारा लिखित रचना "पण्डावही" में इन महन्तों के नाम उल्लेखित है। "पण्डावही" के अनुसार ब्रह्मलीन "श्री 108 महन्त तुलसीदास" महन्त परम्परा की 12वीं पीढी के महन्त हुये। ये बाडी-मण्डल के महामण्डलेश्वर रहे। महंत कविता लिखते थे।"तुलसीमानस शतक" एवं "नर्मदा चालीसा" आपकी प्रसिद्ध रचनाएॅ है। मंहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ,समाजसेवी,संगीतकार,एवं इतिहासविद् थे।खाकी अखाडा के पूर्व संत-महन्त चमत्कारी एवं तपस्वी थे।खाकी अखाडा की मंहत परम्परा में चौथी पीढी के मंहत श्री भगवान दास महाराज "माँ हिंगलाज" को अग्नि स्वरूप में लेकर आये। वर्तमान में श्री रामजानकी मंदिर के पास में धूनी स्थान है वह स्थापना से 150 वर्ष तक अखण्ड धूनी चैतन्य रहने का स्थान हेेै। यह अग्नि ज्योति स्वरूप में मंहत जी बलूचिस्तान से (जो माॅ हिंगलाज की मूल शक्तिपीठ हैं) लेकर आये थे। श्री मंहत भगवानदास जी, श्री राम के उपासक एवं माॅ जगदम्बा के अनन्य भक्त थे, उनके मन में "माॅ हिंगलाज शक्तिपीठ" के दर्शन की लालसा उठी। महंत अपने दो शिष्यों को साथ लेकर पदयात्रा पर निकल पडे। मंहत लगभग 2 वर्षो तक पदयात्रा करते रहे। अचानक मंहतश्री संग्रहणी-रोग से ग्रषित हो गए, अपितु अपनी आराध्य माँ के दर्शनो की लालसा में पदयात्रा अनवरत जारी रही। एक दिन मंहतश्री अशक्त होकर बैठ गए और माॅ से प्रार्थना करने लगे कि- हे माॅ आपके दर्शनो के बिना में वापिस नहीं जाउगा,चाहे मुझे प्राण ही क्यो त्यागना ना पडे। एक माह तक शारीरिक अस्वस्थता की स्थिति में जंगली कंदमूल-फल का आहार लेकर अपने संकल्प पर अटल रहे। कहते है कि भगवान भक्तों की कठिन से कठिन परीक्षा लेते है। वर्षा के कारण एक दिन धूनी भी शांत हो गई, जिस दिन धूनी शांत हुई उसके दूसरे दिन प्रातःकाल एक भील कन्या उस रास्ते से अग्नि लेकर निकली और महंत से पूछने लगी कि, बाबा आपकी धूनी में तो अग्नि ही नही है,आप क्यों बैठे हो। बाबा ने अपनी व्यथा उस कन्या को सुनाई। कन्या उन्हे अग्नि देकर अपने मार्ग से आगे बढकर अंतर्ध्यान हो गई। मंहतश्री ने उस अग्नि से धूनी चैतन्य की ओर मन ही मन "माॅ हिंगलाज" से प्रार्थना करने लगे। रात्रि में उनको स्वप्न आया कि भक्त अपने स्थान वापिस लौट जाओ। मैने तुम्हे दर्शन दे दिये हैं। मेरे द्वारा दी गई अग्नि को अखण्ड धूनी के रूप में स्थापित कर "हिंगलाज मंदिर" के रूप में स्थापना कर दो।
इस प्रकार बाडी नगर में "माॅ हिंगलाज देवी मंदिर" जगदम्बे की "51वी उपशक्ति पीठ" के रूप में स्थापित हुआ।
। ।माॅ का चमत्कार।।
माँ हिंगलाज के चमत्कारों की घटनाएॅ तो अनेक है पर एक घटना का संबंध "खाकी अखाडा" से जुडा है, भोपाल रियासत की बेगम कुदसिया (1819) के कार्यकाल से है। खाकी अखाडे में 50-60 साधू संत स्थायी रूप से रहते थे। उनके भोजन की व्यवस्था मंहत जी की "रम्मत धर्मसभा" की आय से होती थी। माॅ हिंगलाज के दर्शनार्थिंयो एवं दानदाताओं का इसमें सहयोग रहता था। यह घटना सन् 1820-25 के आसपास की है, उस समय नबाब की बेगम कुदसिया का बाडी में केम्प था। "श्री रामजानकी मंदिर" खाकी अखाडे में प्रातः सुप्रभात आरती "जागिये कृपानिधान" एवं सांयकालीन आरती भी "गौरीगायन कौन दिशा से आये, पवनसुत तीव्र ध्वनि" शंख,घंटा,घडियाल एवं नौबत वाद्ययन्त्रों के साथ होती थी। बेगम कुदसिया ने जब यह शोर सुबह-शाम सुना तो बहुत ही क्रोधित हुई ओर मंहत जी को हुक्म भेजा कि जब तक बाड़ी में हमारा केम्प है,यहाॅ पर शोर-शराबा नही होना चाहिये। हमारी नमाज में खलल पडता है। मंहत जी ने हुक्म मानने से इन्कार कर दिया और कहा की भगवान की आरती इसी प्रकार होती रहेगी उसका परिणाम कुछ भी हो। मंहत जी का इन्कार सुनकर बेगम बहुत ही क्रोधित हुई।
बेगम पहले ही मंहतजी के चमत्कारों एवं साधना के बारे मे सुन चुकी थी इसलिए उसने परीक्षा लेने के लिए एक थाल में मांस को कपडे से ढककर चार प्यादों सेवक के साथ भोग लगाने मन्दिर भेज दिया जैसे ही प्यादे सेवक मंदिर परिसर के अन्दर आये। महंत समझ गए। मंहत जी ने एक सेवक भेज कर उसे मुख्यद्वार पर ही रूकवा दिया और एक शिष्य को आज्ञा दी कि अखण्डधूनी के पास जो कमण्डल रखा है उसे लेकर थाल पर जल छिडक दो और बेगम के सेवको से कह दो कि भोग लग गया हैं। बेगम साहिबा को भोग प्रसाद प्रस्तुत कर दो। कपडा बेगम के सामने ही हटाना। प्यादे(सेवक) वह थाल लेकर वापस बेगम के पास केम्प में पहूचे और बेगम के सामने थाल रखकर सब किस्सा बयान किया जब बेगम ने थाल का कपडा हटाया तो, उसमें मांस के स्थान पर प्रसाद स्वरूप विभिन्न प्रकार की मिठाईयाॅ मिली। बेगम को आश्चर्य हुआ और महन्त जी से मिलने मंदिर पहुची और कहा कि महाराज मैं आपकी खिदमत करना चाहती हूॅ आप मुझे हुक्म दीजिये आपकी क्या खिदमत करूॅ। इसके बाद बेगम "माँ हिंगलाज" के चमत्कार से प्रभावित हुई। इसके उपरांत बेगम ने मंदिर के नाम जागीर दान दी। इसके अतिरिक्त 1844 एवं 1868 में भी मन्दिर को जागीर प्राप्त हुई, जो आज मंदिर की संपत्ति है। आज लगभग 65 एकड़ का विस्तृत बगीचा,जिसमें अमरूद,कटहल,नींबू,सीताफल इत्यादि लगें हुए है।
वर्ष 2005 की एक दुर्घटना के पश्चात उक्त प्राचीन माँ हिंगलाज मन्दिर शक्तिपीठ एक ट्रस्ट के रूप में संचालित हो रहा है
बाडी नगर के वृद्धजनों में यह घटना "माॅ हिंगलाज" के चमत्कारों के संदर्भ में कही जाती है। माॅ हिंगलाज का यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं। वहाॅ पहुचकर जैसे ही माॅ की परिक्रमा कर आप दण्डवत करेगे ,वैसे ही मन में अभूतपूर्व शांति का अनुभव प्राप्त होगा।
। ।मंदिर परिसर में दर्शनीय स्थल।।
1.प्राचीन माॅ हिंगलाज मंदिर के प्रमुख प्रवेश द्वार से प्रवेश करते ही पहले "माॅ हिंगलाज का प्राचीन मंदिर" के दर्शन होंगे। यह मंदिर लगभग 1800 ईशवी के समय का निर्मित है। मंदिर का शिखर गौड़शैली का बना हुआ है। माॅ की प्रतिमा जगदम्बे की 51वी उपशक्ति-पीठ के रूप में स्थापित हैं। सन् 2005 मे ट्रस्ट के द्वारा "श्री रामजानकी मंदिर" एवं "माॅ हिंगलाज मंदिर" का पुनःनिर्माण जनसहयोग से कराया गया।
2. "माँ हिगलाज मंदिर" से कुछ ही दूरी पर "श्री राम जानकी मंदिर" है,जिसमें हिन्दू धर्म के सम्पूर्ण देवी-देवताओ की अष्टधातु से निर्मित प्रतिमाएं है।
3.मंदिर से नीचे की और आते ही भगवान "श्री गणेश मंदिर" है।
4. "श्री गणेश मंदिर" से कुछ ही दुरी पर "शिवालय" स्थित है।
5. शिवालय के सामने की और पवन पुत्र "श्री हनुमान मंदिर" स्तिथ है। उक्त मंदिर के अतिरिक्त कुछ ही दूरी पर एक "पंचमुखी श्री हनुमान मंदिर" स्तिथ है।
7. मुख्य "माँ हिगलाज मंदिर" से लगभग 2 किoमीo की दूरी पर "श्री भूतेश्वर धाम" भोलेनाथ का मंदिर स्थित है।
उक्त माँ हिंगलाज शक्तिपीठ विश्व में दो स्थानों बलूचिस्तान(पाकिस्तान) एवं बाड़ी(भारत) में प्रख्यात मंदिर के रूप में स्थित है।
"माँ हिंगलाज कि कृपा"
"स्थानीय स्रोत एवं बुजुर्गों से प्राप्त जानकारी के आधार पर आलेख"
गोविंद चौहान
बाड़ी
"जय माता दी"
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अन्तरिक्ष एवं प्रमुख आपदाओं का अन्तर्राष्ट्रीय चार्टर. अन्तरिक्ष एवं प्रमुख आपदाओं का अन्तर्राष्ट्रीय चार्टर एक ऐसा गैर-बाध्यकारी चार्टर है जो प्रमुख आपदाओं के समय राहत संगठनों को परोपकारी एवं मानवीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से अन्तरिक्ष उपग्रह आंकड़ें पहुंचाने का कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका शुभारंभ ऑस्ट्रिया के वियेना में जुलाई 1999 को आयोजित यूनिस्पेस-3 सम्मेलन के बाद यूरोपियन अन्तरिक्ष एजेन्सी तथा फ्रांस की अन्तरिक्ष एजेन्सी सीएनईएस ने किया था, औपचारिक रूप से नवंबर 01, 2000 में कैनेडियन अन्तरिक्ष एजेन्सी द्वारा अक्तूबर 20, 2000 में चार्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद यह प्रचालित हुआ। तब तक अन्तरिक्ष अनुसंधान की ओर इनके योगदान में ईआरएस, एवं एन्विसैट, स्पॉट तथा फॉर्मसैट एवं रडारसैट शामिल हैं।
विभिन्न निजी, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष एजेन्सियों के वर्गीकृत उपग्रह मानवीय हितों के लिए काम करते हैं जो कि हांलाकि आकस्मिक हुआ करते हैं। सबसे पहले दिसंबर 2001 में उत्तर पूर्वी फ्रांस में बाढ़ के लिए इसे सक्रिया किया गया, तभी से चार्टर अन्तरिक्ष से जुड़ी सूचना संबंधी संग्रह का विविध भूकंपों, तेल के रिसाव, दावाग्नि, सुनामी, विशाल हिमपात, ज्वालामुखी प्रस्फुटन, तूफानों एवं भूस्खलन के लिए उपयोग करने में प्रमुख भूमिका निभाता है, तथा इसके बाद मलेशिया एयरलाइन फ्लाइट 370 की खोज में भी उपयोग किया गया। इसके अलावा वर्ष 2014 में दक्षिणी अफ्रीका में इबोला विषाणु के प्रसार के मानचित्रण हेतु भी इसका उपयोग किया गया।
क्रमिक हस्ताक्षरकर्ता एवं उपग्रह संबंधी परिसंपत्तियां.
फरवरी 2005
2012 के अनुसार सक्रिय उपग्रहों एवं उनकी उपयोगिता कुछ इस प्रकार हैं :.
एन्विसैट के उच्च विभेदन एवं अति उच्च विभेदन रडार संवेदक (अप्रैल माह में वियोजन), रीसैट-1, रडारसैट-1 एवं 2, टेरासार-एक्स एवं टैनडीईएम-एक्स; स्पॉट उपग्रह 4 एवं 5, प्लेडेस, लैंडसैट-5 एवं 7 प्रोबा-1, यूके-डीएमसी-2, कोम्पसैट-2, आईआरएस-पी5, रिसोर्ससैट-2, ओशनसैट-2, कार्टोसैट-2, आईएमएस-1 एवं रैपिडआई के उच्च विभेदन एवं अति उच्च विभेदन प्रकाशीय संवेदक; पीओईएस, जीओईएस एवं सैक-सी के मध्यम एवं निम्न विभेदन प्रकाशीय संवेदक। इसके बाद, अन्य संस्थानों व निगमों के साथ विशिष्ट समझौते से चार्टर को फौर्मोसैट श्रृंखला, जिओआई, आईकोनोस, क्विकबर्ड एवं वर्ल्डव्यू जैसे उपग्रहों के उच्च व अत्यंत उच्च विभेदन के उत्पादों तक पहुंचने की अनुमति प्रदान करते हैं।
प्रमुख घटनाएं जिनके कारण चार्टर सक्रिय हुआ.
भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 2004 में हिन्द महासागर भूकंप एवं सुनामी के लिए चार्टर सक्रिय हुआ। अन्तरिक्ष एवं प्रमुख आपदा केन्द्र के माध्यम से 2010 में हैती में आए भूकंप के दो दिन बाद फ्रांसिसी नागरिक सुरक्षा प्राधिकरण, जन सुरक्षा कनाडा, यूएसजीएस के अमेरिकी भूकंप के जोखिम का कार्यक्रम एवं हैती में यूएन स्टेबिलाइजेशन मिशन ने जनवरी 14, 2010 को हैती का घटना के पश्चात मानचित्र उपलब्ध कारने का अनुरोध किया था।
दोनों सीओजीआईसी (फ्रांसिसी नागरिक सुरक्षा) तथा अमेरिकी यूएसजीएस ने एमसीडीईएम न्यूजीलैंड की ओर से चार्टर को सक्रिय करने का अनुरोध किया, परिणामस्वरूप 2011 में क्राइस्टचर्च भूकंप के बाद सहायता एवं बचाव कार्यों के लिए उपग्रह चित्र तुरंत उपलब्ध कराना आसान हो गया।
2011 में आए तोहोकू भूकंप एवं सुनामी के बाद बेहतर प्रबंधन के लिए जापान ने अपनी अन्तरिक्ष एजेन्सी, जेएएक्सए, द्वारा मार्च 12, 2011 में चार्टर सक्रिय करने का अनुरोध किया।
फिलीपीन्स प्राधिकरण द्वारा नवंबर 08, 2013 को चार्टर सक्रिय किया गया क्योंकि सबसे विशाल टायफून हय्यान ने जमीन पर तूफान मचा दिया था।
मार्च 11, 2014 को कुआलालंपूर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से बीजिंग राजधानी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर उड़ान भर रहे मलेशियाई वायुयान उड़ान सं. 370 के मार्च 08, 2014 को गायब हो जाने के बाद खोज में सहायता हेतु चीन के अधिकारियों द्वारा चार्टर सक्रिय किया गया।
अक्तूबर 09, 2014 को राष्ट्रीय भूस्थानिक एजेन्सी की ओर से यूएसजीएस द्वारा चार्टर सक्रिय किया गया ताकि पहली बार महामारी से जुड़े रोगविज्ञान अन्तरिक्ष सूचना की भूमिका.स्थापित करने के लिए (सिएरा लिओन, विशेषकर) 2014 में पश्चिमी अफ्रीका में फैले इबोला विषाणु का मानीटरन किया जा सके।
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खाद्य उद्योग. खाद्य उद्योग एक वैश्विक व्यापार है। जिसमें सम्पूर्ण विश्व के ग्राहक खाद्य सामग्री लेते हैं और उसका उपभोग करते है। यह व्यापार एक किसान से लेकर उसे बेचकर जीवन यापन करने वालों तक फैला हुआ है।
परिभाषा.
वह उद्योग जो किसी खाद्य बनाने से लेकर उसके प्रचार आदि तक के कार्य को करता है। उसे खाद्य उद्योग कहते हैं।
कृषि और कृषि विज्ञान.
इसमें किसी खाद्य सामग्री को बनाया जाता है। यह खाद्य उद्योग में कार्य का पहला चरण होता है। जिसमें किसी भी खाने के सामान की कृषि की जाती है। उसके अधिक उपज प्राप्त करने हेतु उसमें कई प्रकार के परीक्षण भी होते रहते हैं।
खाद्य प्रसंस्करण.
इसमें यह लोग बहुत से संख्या में खाद्य सामग्री को बाजार आदि में पहुँचाते हैं। जिसके बाद ही यह लोगों तक पहुँचता है।
थोक और वितरण.
यह खाद्य उद्योग का अन्तिम चरण होता है। जिसमें खाद्य सामग्री का वितरण किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से किसी वाहन का उपयोग किया जाता है। जिसमें अच्छी तरह से खाद्य सामग्री को रखा जाता है।
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रसायन शिक्षा. रसायन शिक्षा विद्यालय, महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाने वाला एक विषय है। इसके विषय इस तरह से बनाए जाते हैं की कोई भी विद्यार्थी इसे आसानी से समझ ले कि किस प्रकार से कोई अभिक्रिया होती है और रसायन का हमारे जीवन में क्या महत्व है और हम इस शिक्षा का उपयोग किस प्रकार से कर सकते हैं।
भय.
कई विश्वविद्यालय में यह देखने को मिला है कि कई विद्यार्थी प्रयोगशाला में जाने और कार्य करने से डरते हैं। इसके साथ ही इसमें होने वाले कार्य के कारण भी कई परेशान हो जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से प्रयोगशाला में जाकर रासायनिक तत्वों को लेना और उससे रासायनिक अभिक्रिया करना है।
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हातिम ताई (1990 फ़िल्म). हातिम ताई सन् 1990 मे प्रदर्शित एवं बाबूभाई मिस्त्री द्वारा निर्देशित एक काल्पनिक फ़िल्म है जिसमें जितेन्द्र, संगीता बिजलानी, सतीश शाह और अमरीश पुरी मुख्य भूमिका में है। इस फ़िल्म की कहानी मशहूर अरबी कवि हातिम अल-ताई की जीवन कथा पर आधारित है
संक्षेप.
हातिम जो यमन का शहजादा है बहुत न्यायप्रिय व बहादुर है। एक दिन उसके पास एक लडकी अपनी फ़रियाद लेकर आती है कि वह एक श्राप से ग्रस्त है जिसमें यदि उसने विवाह किया तो उसका पति मर जाएगा और वह पत्थर की बन जाएगी। इससे मुक्त होने का होने का सिर्फ एक तरीका है कि अगर कोई सात सवालो कि पहेली को सुलझा दे। हातिम ये चुनौती स्वीकार कर उनका हल ढूंढने के लिए कांटो भरी राह पर निकल पडता है।
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खैरो भट्टी. खैरो भट्टी पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक नगर है।
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धवलेराम मीणा. धवलेराम मीणा लाला रामपुर, करौली के मूलनिवासी हैं। पद गीत में इन्होने पूर्वी पूर्वी राजस्थान के मत्स्य बेल्ट में जो मुकाम पाया हैं वो काबिले तारीफ़ हैं। इन्होने हजारो पदो को लिखा, उन्हें अपनी मण्डली को सिखाकर संगीत की इस विधा को प्रासंगिक व आकर्षित बनाये रखा। इन्होने धार्मिक विषयो के अलावा समाज में प्रचलित परम्परावो को भी निशाना बनाया , और पदो के माध्यम से दहेज़ , बाल विवाह, भेदभाव , अशिक्षा पर जमकर प्रहार किये और लोगो को इन मनोवृत्तियों से निकल बाहर आने का आव्हान किया।
धवले मत्स्य क्षेत्र के शेक्सपीयर कहे जा सकते हैं।
परिचय.
इनका जन्म करौली के लाला रामपुर गांव में हुआ था। इनका रुझान शुरू से ही पद गायन की तरफ बढ़ा। और इन्होने अपनी मण्डली बनाकर इनमे भाग लेना शुरू किया। ये मेडिया के नाम से जाने जाते हैं
योगदान.
धवलेराम के पदो की विषयवस्तु में समकालीन विषयो के अलावा सामजिक स्थिति और व्यवस्था भी शामिल होती है। धार्मिक विषय भी महत्वपूर्ण रहे।
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सड़क परिवहन. सड़क परिवहन (Road transport या road transportation) से आशय मनुष्यों या माल को सड़क से होकर (वाहनों द्वारा) ले जाना।
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जगन्नाथ मन्दिर, अलवर. जगन्नाथ मन्दिर (अंग्रेजी: Jagannath Temple) एक हिन्दू मन्दिर है जिसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा है। यह मन्दिर भारत के राजस्थान राज्य के अलवर ज़िले में स्थित है। मन्दिर में विष्णुजी के अवतार जगन्नाथ की पूजा की जाती है। ]]
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गलन. गलन (Melting या fusion) वह भौतिक प्रक्रिया है जिसमें कोई ठोस पदार्थ, द्रव प्रावस्था में बदल जाता है।
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हिमीकरण. हिमीकरण (Freezing या solidification) पदार्थ के प्रावस्था संक्रमण की वह प्रक्रिया है जिसमें कोई द्रव, ठोस प्रावस्था में बदलता है। हिमीकरण के लिये उस पदार्थ का ताप उसके गलनांक से नीचे लाना पड़ता है।
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द्रवण. पदार्थ विज्ञान के सन्दर्भ में द्रवण (Liquefaction) उन सभी प्रक्रियाओं को कहते हैं जो ठोस से या द्रव से आरम्भ होकर गैस बनाते हैं।
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निक्षेपण (प्रावस्था संक्रमण). निक्षेपण (Deposition या desublimation) एक ऊष्मागतिक प्रक्रिया है जिसमें कोई गैस, ठोस बन जाती है। इसकी उल्टी प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं।
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आदिल शाह. आदिल शाह नाम के निम्नलिखित व्यक्ति उल्लेखनीय हैं:
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मार (राक्षस). मार (चीनी भाषा: 魔; pinyin: mó; तिब्बती : bdud; ख्मेर: មារ; बर्मी भाषा: မာရ်နတ်; थाई: มาร; सिंहल: මාරයා), एक दानव था जिसने गौतम बुद्ध को सुन्दर स्त्रियों की सहायता से पथभ्रष्ट करने के अनेक प्रयास किये। अधिकांश कथाओं में, ये सुन्दर स्त्रियाँ, मार की पुत्रियाँ थीं।
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सिरैमिक इंजीनियरी. अकार्बनिक, अधात्विक पदार्थों से तरह-तरह की वस्तुओं के निर्माण से सम्बन्धित इंजीनियरी को सिरैमिक इंजीनियरी (Ceramic engineering) कहते हैं।
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विद्या देवी भंडारी. विद्या देवी भंडारी () नेपाल की दूसरी तथा देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति हैं।वे भूतपूर्व नेपाली राजनीतिज्ञ तथा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल की नेता रह चुकी हैं।
इन्हें 549 में से 327 वोट प्राप्त कर कुल बहादुर गुरुंग को हराते हुए राष्ट्रपति चुना गया। ये नेपाल रक्षा मंत्रालय में पूर्व रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं।
प्रारंभिक जीवन.
विद्या भंडारी का जन्म 19 जून 1961 को नेपाल के भोजपुर में राम बहादुर पांडे और मिथिला पांडे के वहां हुआ था। वह कम उम्र में छात्र राजनीति में शामिल हो गयीं। ये अपने समय के एक करिश्माई और प्रभावशाली नेता के रूप में विख्यात कम्युनिस्ट नेता मदन भण्डारी की पत्नी हैं। हालांकि 1993 में एक सड़क दुर्घटना में इनके पति के असामयिक निधन के बाद ये सुर्खियों में आयीं।
विद्या 1994 और 1999 में क्रमश: तत्कालीन प्रधानमंत्री कृष्ण प्रसाद भट्टाराई और दमनाथ ढूंगना को संसदीय चुनाव में हराने के बाद दो बार चुनी गयीं।। हालांकि, 2008 में संविधान सभा चुनाव के दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व में रक्षा मंत्री पद के लिए चुनी गयीं। 2013 में दूसरी संविधान सभा के चुनावों में आनुपातिक चुनाव प्रणाली के तहत इन्हें चुना गया।
राजनैतिक सफ़र.
भंडारी ने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में प्रवेश किया। 1994 और 1999 में संसदीय चुनावों में निर्वाचित हुईं। माधव कुमार नेपाल के मंत्रिमंडल में यह रक्षा मंत्री बनीं। यह माना जाता है कि भंडारी पार्टी और प्रधानमंत्री के पी ओली की विश्वासपात्र हैं।
निजी जीवन.
इनका विवाह नेपाल के साम्यवादी दल के महासचिव व वामपंथी नेता मदन भंडारी से हुआ था। मदन भंडारी की सड़क -दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी।
महिला राष्ट्रपति.
नयाबानेश्वर, काठमांडू में संसदीय सभा द्वारा विद्या,214 के मुक़ाबले 327 मतों से विजयी होकर नेपाल के इतिहास में प्रथम महिला राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं। नवनिर्वाचित संसद के 597 में से सिर्फ़ 549 सदस्यों ने ही मताधिकार का प्रयोग किया जबकि 48 अनुपस्थित रहे। कुल पड़े 549 मतों में से 8 को अवैध घोषित किया गया। सत्ताधारी सीपीएम-यूएमएल के अलावा विद्या को राष्ट्रीय प्रजातंत्र दल, यूसीपीएन (माओवादी), मधेशी जनाधिकार फ़ोरम लोकतांत्रिक समेत कई अन्य दलों ने समर्थन दिया जबकि विपक्षी नेपाली कांग्रेस के कुल बहादुर गुरुंग इतना समर्थन नहीं जुटा सके।
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मोहम्मद हुसैन तंतावी. मोहम्मद हुसैन तंतावी (, , ; जन्म 31 अक्टूबर 1935 - 21 सितंबर 2021) मिस्र देश की सेना के फ़ील्ड मार्शल और पूर्व राजनयिक हैं। वे मिस्री सेना के कमाण्डर इन चीफ़ थे और, के चेयरमैन की हैसियत से, होस्नी मुबारक के सत्ता से हटने (11 फरवरी 2011) से लेकर मोहम्मद मोर्सी के राष्ट्रपति चुने जाने तक (30 जून 2012) मिस्र देश के प्रमुख थे।
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मदन भण्डारी. मदन भंडारी (27 जून 1952 - 16 मई 1993) एक नेपाली राजनीतिज्ञ तथा कम्यूनिष्ठ पार्टी के नेता है। वे वर्तमान नेपाल की राष्ट्रपति श्रीमती बिद्या देवी भंडारी के पति है। वह एक कट्टर कम्युनिस्ट थी उनकी उनके मौत बारे उनका ड्राइवर अमर लामा उसके पर गंभीर सवाल उठे थे कहा जाता है की उसी ड्राईवर ने मदन भंडारी को त्रिशूली नदी में फेंका है।
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भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन. भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन (आईएएफएस) अफ्रीकी-भारतीय संबंधों के लिए आधिकारिक मंच है। यह मंच तीन वर्ष के अंतराल पर अपना अम्मेलन करता है। यह मंच सभी महत्वपूर्ण समस्याओं पर विचार करता है। २५ मार्च २०१५ को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने २६ अक्टूबर २०१५ से नई दिल्ली में तृतीय भारत -अफ्रीका मंच के शिखर सम्मलेन की घोषणा की।
कार्यसूची.
तेल और खाद्य पदार्थो के बढ़ते मूल्य
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जसकौर मीणा. जसकौर मीणा एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान में दौसा से लोकसभा सांसद हैं। पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री हैं। वे सवाई माधोपुर से लगातार लोकसभाओं ( 1999-2004) में प्रतिनिधित्व किया। ये भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल थी और लम्बे समय तक केंद्रीय कार्यकारिणी में उपाध्य्क्ष रही। जब भी यह सक्रिय राजनीति में नही रहीं उस दौरान इन्होंने सवाई माधोपुर व लालसोट क्षेत्र के जनजातीय युवाओं व बालिकाओं की शिक्षा व रोजगार हेतु प्रेरित किया, उनके प्रति लोगों में निष्ठा व उनके लोगों के जुड़ाव के कारण भारतीय जनता पार्टी ने 2019 में एक बार फिर मौका दिया और जसकौर मीना दौसा से सांसद चुनी गई।
परिचय.
जसकौर मीणा भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से पूर्व शिक्षिका थी। बाद में भाजपा की राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीती में सक्रिय भूमिका निभाई।
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परसादी लाल मीणा. परसादी लाल मीणा (जन्म 1 फरवरी 1951) राजस्थान के एक राजनेता हैं। वे अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री काल में स्वास्थ्य और राज्य उत्पाद शुल्क के कैबिनेट मंत्री है और पूर्व में दो बार मंत्री रह चुके हैं।
वर्ष 2008 से 2013 तक सहकारिता मंत्री रहते हुए आपने किसानों को बिना ब्याज का अल्पकालीन फसली ऋण उपलब्ध करवाया जो अपने आप में अनूठी मिसाल रहा।
परसादी लाल गांधीवादी राजनैतिक पृष्ठभूमि के नेता हैं। ये लालसोट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे और अपने विधानसभा से 5 बार विधायक रहे।
वर्ष 2010 में आप राज्य कैबिनेट में खाद्य मंत्री रहे है और आपके द्वारा मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना का सृजन किया गया जिसके मॉडल को केंद्र सरकार ने भी अपनाया और उस योजना का समूचे भारत में क्रियान्वन किया गया। वर्ष 1985 से आपने लालसोट विधानसभा का नेतृत्व किया। वर्ष 2013 में डॉ.किरोड़ी लाल मीणा से 491 मतो से हारकर आप वर्ष 2013 में काँग्रेस पार्टी से सबसे कम अन्तर से हारने वाले प्रत्याशी बने । वर्ष 2018 में आप काँग्रेस प्रत्यासी के रूप लालसोट विधानसभा क्षेत्र से 9074 मतो से जीत दर्ज कर 6 वी बार लालसोट के विधायक बने ।
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गगन खोड़ा. गगन खोड़ा पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाडी हैं ये 1998 में केन्या के खिलाप दो अंतराष्ट्रीय मैचों में भारतीय टीम का हिस्सा रहे और उनमे से एक में मैन ऑफ़ द मैच रहे। घरेलु क्रिकेट में ये राजस्थान क्रिकेट टीम और सेंटल जोन की तरफ से खेलते थे।
परिचय.
उनका संबंध जयपुर जिले के गांव लावपुरा(मीणावाला) से हैं उनका जन्म बाड़मेर में पिता की सरकारी सेवा के दौरान हुआ था। उनके पिता का नाम किशनलाल खोड़ा था। गगन खोड़ा ने 1991-92 में रणजी खेलना शुरू किया था।1994 के क्वार्टर फाइनल में 237 रन बनाकर राजस्थान टीम में दीर्घकालीन जगह बनाई।
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मस्वाती तृतीय. मस्वाती तृतीय वर्तमान में दक्षिण अफ़्रीकी देश स्वाज़ीलैंड के राजा हैं। यह स्वाज़ीलैंड के शाही खानदान के प्रमुख हैं। राजा सोभुजा द्वितीय की मृत्यु के पश्चात राज्य की ग्रेट कौंसिल (लिकोको ) ने मखोसेटिवे दलमिनी को राजकुमार घोषित किया
प्रारंभिक जीवन.
१९ अप्रैल १९६८ को राजा मस्वाती तृतीय का मसुन्दिनी स्वाजीलैंड में पैदा हुए। इनका पूरा नाम मखोसेटिवे दलमिनी है। राजा सोभूजा द्वितीय की छोटी रानी नतोम्बी तफवाला से मस्वाती तृतीय का जन्म हुआ।
शिक्षा.
यह दिसंबर १९८२ में स्वाज़ीलैंड प्राइमरी सर्टिफिकेट परीक्षा में बैठे जिसमें गणित एवं अंग्रेजी में विशेष योग्यता के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए यह शेरबोर्ने स्कूल (इंटरनेशनल कॉलेज),यूनाइटेड किंगडम चले गए। उस समय इनकी आयु १४ वर्ष थी। १९८६ में बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर यह स्वाज़ीलैंड वापस आ गए।
कुटुंब.
मस्वाती तृतीय की १५ रानियाँ हैं इनमें केवल २ रानियों को शाही दर्जा प्राप्त है। वर्तमान इनके ३० बच्चे हैं। इन्होंने परिवार बढ़ाने की अपने पिता की परंपरा को किसी की आलोचना की परवाह किये विना कायम रखा है। यह रंगीन मिज़ाज़ के राजा हैं।इन्होने २०१३ में १८ वर्ष की लड़की से १५ वां विवाह किया।
राज्यसिंहासन.
१९८२ में इनके पिता सोभुजा द्वितीय के समय इनकी आयु १४ वर्ष थी इसलिए राज्यसिंहासन का भार रानी ड़जेलिवे शोंगवे (1982–1983) और रानी न्टफोम्बी तफवाला (1983–1986) ने संभाला। वर्ष १९८६ में १८ वर्ष की आयु में यह राजगद्दी पर बैठे।
अमीर राजा.
मस्वाती तृतीय का नाम विश्व के धनी लोगो में शुमार किया जाता है। वर्ष २००९ में फ़ोर्ब्स द्वारा प्रकाशित सूची में २०० बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ १५ वां स्थान था। १३ रानियों के लिए आलीशान महल ,५ लाख डॉलर की मैबेच कार के साथ ६२ लक्जरी गाड़ियां।
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बंदीप सिंह. बंदीप सिंह (जन्म: 9 सितंबर 1989) एक भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेटर हैं जो जम्मू कश्मीर के लिए खेलते हैं। अक्टूबर २०१५ रणजी ट्रॉफी के एक मैच में त्रिपुरा के विरुद्ध ग्रुप सी के मैच में मात्र 15 गेंदों पर अर्धशतक बनाकर एक नया रिकॉर्ड कायम किया। स्ट्राइक रेट (318.75) से बल्लेबाजी करते हुए 4 छक्के और 6 चौके लगाते हुए उन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड हिमाचल प्रदेश के शक्ति सिंह और बड़ोदरा के यूसुफ पठान (18 गेंदों पर अर्धशतक) के नाम था।
26 साल के बंदीप सिंह ने 23 फर्स्ट क्लास मैचों में 39.71 के स्ट्राइक रेट से तक 1016 रन जोड़े हैं, जबकि 14 लिस्ट-ए के मैचों में 60.25 के स्ट्राइक रेट से 241 रन बनाए हैं। (अद्यतन-30 अक्टूबर 2015)
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शक्ति सिंह (क्रिकेटर). शक्ति सिंह एक भारतीय क्रिकेटर हैं हिमाचल प्रदेश के लिए खेलते हैं। इनके नाम रणजी ट्रॉफी में सबसे तेज 18 गेंदों पर अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया था जिसे अक्टूबर २०१५ में बंदीप सिंह ने तोड़ा। 18 गेंदों पर अर्धशतक का रिकॉर्ड शक्ति सिंह के अतिरिक्त भारत की राष्ट्रीय टीम के सदस्य रहे बड़ोदरा के यूसुफ पठान के नाम भी संयुक्त रूप से था।
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रसनिधि. दतिया राज्य के बरौनी क्षेत्र के जमींदार पृथ्वीसिंह, 'रसनिधि' नाम से काव्यरचना करते थे। इनका रचनाकाल संवत् १६६० से १७१७ तक माना जाता है। इनका सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ 'रतनहजारा' है जो बिहारी सतसई को आदर्श मानकर लिखा गया प्रतीत होता है। बिहारी की दोहापद्धति का अनुकरण करते समय रसनिधि कहीं-कहीं ज्यों का त्यों भाव ही अपने दोहे में लिख गए हैं। रतनहजारा के अतिरिक्त विष्णुपदकीर्तन, बारहमासी, रसनिधिसागर, गीतिसंग्रह, अरिल्ल और माँझ, हिंडोला भी इनकी रचनाएँ बताई जाती हैं। इनके दोहों का एक संग्रह छतरपुर के श्री जगन्नाथप्रसाद ने प्रकाशित किया है।
रसनिधि प्रेमी स्वभाव के रसिक कवि थे। इन्होंने रीतिबद्ध काव्य न लिखकर फारसी शायरी की शैली पर प्रेम की विविध दशाओं और चेष्टाओं का वर्णन किया है। फारसी के प्रभाव से इन्होंने प्रेमदशाओं में व्यापकता प्राप्त की किंतु भाषा और अभिव्यंजना की दृष्टि से इनका काव्य अधिक सफल नहीं हो सका। शब्दों का असंतुलित प्रयोग तथा भावों की अभिव्यक्ति में शालीनता का अभाव खटकनेवाला बन गया है। हाँ, प्रेम की सरस उक्तियों में रसनिधि को कहीं कहीं अच्छी सफलता मिली है। वस्तुत: जहाँ इनका प्रेम स्वाभाविक रूप से व्यक्त हुआ है वहाँ इनके दोहे बड़े सुंदर बन पड़े हैं।
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दतिया राज्य. दतिया ब्रिटिश शासनकाल में भारत का एक राज्य (रियासत) था।
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रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल. रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल प्रसिद्ध रसायनज्ञ तथा भौतिकशास्त्री अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा प्रस्तुत परमाणु मॉडल है जिसे उन्होने सन 1911 के अपने इलेक्ट्रॉन के प्रयोगों के आधार पर प्रस्तुत किया। इस मॉडल ने परमाणु के भीतर धनावेशित भाग होने की बात बताई। उन्होंने यह दर्शाने के लिए एक प्रयोग किया, जो निम्नानुसार है:
रदरफोर्ड ने सोने की 100 nm (100 नेनोमीटर) की पतली पन्नी पर अल्फा कणों की बौछार की। सोने की पन्नी के चारों ओर फोटोग्राफिक प्लेट लगाई जो प्रतिदीप्त पदार्थ (ZnS, जिंक सल्फाइड)से लेपित थी। जब उन्होने सोने की पन्नी पर अल्फा कणो की बौछार की तो निम्न परिणाम प्राप्त हुए-
रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाले -
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विलियम एच॰ गेट्स, सीनियर. विलियम हेनरी "बिल" गेट्स (जन्म विलियम हेनरी गेट्स II; 30 नवंबर, 1925) एक सेवानिवृत्त अमेरिकी वकीलऔर परोपकारी तथा "Showing Up for Life: Thoughts on the Gifts of a Lifetime" पुस्तक के लेखक हैं। वो माइक्रोसॉफ्टके सह संस्थापक बिल गेट्स के पिता है।
'विलियम एच गेट्स' नाम व्यवसायियों की एक लाइन में से एक
और कभी-कभी उनके पेशे में 'विलियम गेट्स, जूनियर' कहा जाता है, अपने बेटे से और अधिक विशिष्ठता के कारण, वह अब आम तौर पर" विलियम हेनरी गेट्स, सीनियर "के रूप में जाने जाते है।" "
जीवन व व्यवसाय.
गेट्स का जन्म Bremerton, वाशिंगटन में, विलियम हेनरी गेट्स I या सीनियर (Bremerton, वाशिंगटन, 14 मार्च 1891 - Bremerton, वाशिंगटन, 17 अगस्त 1969), और उनकी पत्नी (टकोमा, वाशिंगटन, 14 जुलाई में शादी कर ली, 1913) लिलियन एलिजाबेथ राइस (Bremerton, वाशिंगटन, 23 अप्रैल 1891 - Bremerton, वाशिंगटन, 27 नवंबर 1966) के यहाँ पर हुआ था। वह अपने परिवार में एक ही नाम के होने वाले तीसरे थे, उनके दादा प्रथम विलियम हेनरी गेट्स की हस्ती थे। उनकी पैतृक दादी जर्मन थी और उनकी नानी अंग्रेज थी। गेट्स कई वर्षों के लिए एक स्काउट बॉय टुकड़ी के एक सक्रिय सदस्य थे, और 1944 में ईगल स्काउट पुरस्कार अर्जित किया। वह द्वितीय विश्व युद्ध में लड़े और सम्मानजनक ढंग से नवम्बर 1946 में छुट्टी दे दी गई।
उन्होंने जी.आई बिल के तहत वाशिंगटन विश्वविद्यालय में भाग लिया, जहां उन्होंने 1949 में एक बी.ए. और 1950 में एक कानून की डिग्री अर्जित किया। उन्होंने 1998 तक कानून का अभ्यास किया।
1998 में, गेट्स पीजीई से सेवानिवृत्त हुए। वह वर्तमान में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के लिए प्रतिनिधियों की बोर्ड पर कार्य करते है, और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह अध्यक्ष है, जिसे उनके बेटे बिल और उनके बेटे की पत्नी मेलिंडा ने स्थापित किया है। उन्होंने कॉस्टको होलसेल के लिए एक निर्देशक के रूप में सेवा की है। वह पसिफ़िक स्वास्थ्य सम्मेलन के एक संस्थापक सह अध्यक्ष है। उन्होंने अपने अधिक प्रसिद्ध बेटे से अलग दिखाने के लिए अपने नाम में "सीनियर" प्रत्यय को अपनाया है।
गेट्स चक कोलिन्स के साथ, "Wealth and Our Commonwealth: Why America Should Tax Accumulated Fortunes" की किताब के सह-लेखक है।
उन्होंने मैरी मैक्सवेल गेट्स से शादी की, जिनसे उनकी वाशिंगटन विश्वविद्यालय में मुलाकात हुई थी, और 1994 में उनका निधन हो गया। उनके तिन बच्चे: Kristianne, बिल, और लिब्बी थे।1996 में गेट्स ने मिमी गार्डनर गेट्स से शादी की, जोकि सिएटल कला संग्रहालय की निदेशक थी।
विश्व न्याय परियोजना.
विलियम एच गेट्स, सीनियर वर्ल्ड न्याय परियोजन के लिए एक मानद सह अध्यक्ष के रूप में कार्य करते है। विश्व न्याय परियोजना एक वैश्विक नेतृत्व करने के लिए काम करता है, अवसर और न्याय संगतता के समुदायों के विकास के लिए विधि शासन को मजबूत करने के लिए इन दोनों क्षेत्रों में प्रयास करता है।
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कुचिपुड़ी, कृष्णा जिला. कुचिपुड़ी भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के कृष्णा जिले में स्थित एक गाँव है। इस गाँव के आन्ध्रप्रदेश की राजधानी परिक्षेत्र में शामिल होने की संभावना है, जब यह राजधानी परिक्षेत्र निर्मित होगा।
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बेल हुक्स. ग्लोरीया जीन वॉटकिन्स (जन्म सितंबर २५, १९५२ - 15 दिसंबर, 2021) जो अपने उपनाम बेल हुक्स से बेहतर जानी जाती हैं, एक अमरीकी नारीवादी लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वॉटकिन्स ने अपना नाम 'बेल हुक्स' अपनी परनानी के नाम बेल ब्लैयर हुक्स पर रखा।
इनके लेखन का केंद्र- रेस, पूंजीवाद, और जेंडर एवं इन तीनों के प्रतिच्छेदन से बनने वाली वर्ग वर्चस्व और उत्पीड़न की व्यवस्था पर रहा है। इन्होंने ३० से अधिक पुस्तकों एवं अनेक विद्वतापूर्ण लेखों की रचना की है। मुख्य रूप से एक उत्तराधुनिक दृष्टिकोण से बेल हुक्स ने शिक्षण, कला, इतिहास, लैंगिकता, स्त्रीवाद, तथा संचार मीडिया के क्षेत्रों में रेस, वर्ग और जेंडर के बात की है।
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पीजूष गांगुली. पीयुष गांगुली (बंगाली भाषा: পীযূষ গঙ্গোপাধ্যায়, 2 जनवरी 1965 - 24 अक्टूबर 2015) भारत से एक बंगाली फिल्म, टीवी और नाट्य अभिनेता थे। उन्होने अभिनय जीवन की शुरूआत रंगमंच कलाकार के रूप में की थी तदोपरांत वे टेलीविजन तथा फिल्म अभिनय की ओर उन्मुख हुए। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन की ओर से उत्तम अभिनय का वर्ष 2005 का पुरस्कार तथा पश्चिम बंगाल सरकार टेली अकादमी पुरस्कार 2014 तथा कुछ अन्य पुरस्कार भी इन्हें प्राप्त हुए थे। उन्होने कुछ विशिष्ट बंगाली फिल्मों जैसे अपर्णा सेन की ‘गायनार बक्शा, अंजन दत्त की ब्योमेश-बक्शी तथा शेखर दास की ‘माहुलबनिर सेरेन्ग’ आदि में अपने उत्कृष्ट अभिनय की छाप छोड़ी।
वे 20 अक्टूबर को हाबड़ा के निकट कोना एक्सप्रेस वे के पास संतरागाछी में हुई एक कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गये थे। 25 अक्टूबर, 2015 को बेले व्यू क्लिनिक, कोलकाता में उनका निधन हो गया।
बाहरी कड़ियाँ.
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अर्नेस्ट मेकके. अर्नेस्ट मक केय (EJH Mckay) एक ब्रिटिश पुरातत्वविद थे जिन्होने सन् १९३० के दशक में सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई की थी। सन् १९४३ में में उनका देहान्त हो गया था। उन्होने मोएन जो दाड़ों के स्थल पर ज्यामितीय उपकरणों के होने की बात की थी, जो उनके अनुसार वैदिक गणित से संबंधित हो सकती है।
इसके पहले प्रथम विश्वयुद्ध के समय वो सीरिया, मिस्र और फ़िलीस्तीन में भी रहे थे।
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थॉमसन का परमाणु मॉडल. सन 1891-1897 तक के अपने प्रयोगो द्वारा सन 1898 में जे॰ जे॰ थॉमसन ने यह बताया की परमाणु एक समान आवेशित गोला (त्रिज्या लगभग 10−10m) है, जिसमे धनावेश समान रूप से वितरित रहता है। इस पर इलेक्ट्रॉन इस प्रकार स्थित होते हैं कि उससे एक स्थिर व स्थायी वैद्युत व्यवस्था प्राप्त हो जाती है। इसे इलेक्ट्रॉन की खोज के शीघ्र ही बाद, और परमाणु नाभिक की खोज से पहले तैयार किया गया था। इस प्रस्तावित मॉडल को थॉमसन ने मार्च १९०४ में उस समय की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका 'फिलॉस्फिकल मैग्जीन' में प्रकाशित कराया था। थॉमसन के विचार से-
इस परमाणु मॉडल को विभिन्न प्रकार के नाम दिए गए है। जैसे: प्लम-पुडिंग मॉडल (Plum-pudding model), रेज़िन-पुडिंग मॉडल, तरबूज मॉडल आदि। इस मॉडल का नाम तरबूज मॉडल इसलिए रखा गया क्योंकि इस मॉडल में परमाणु का धनावेश या तरबूज के समान माना गया है और इलेक्ट्रॉन इसमे प्लम अथवा बीज की तरह उपस्थित है।
इस मॉडल की महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमे परमाणु का द्रव्यमान पूरे परमाणु पर समान रूप से बंटा हुआ माना गया है। परन्तु यह मॉडल भविष्य के परमाणु के प्रयोगो के संगत नहीं पाया गया। यह परमाणु मॉडल रदरफोर्ड के प्रकीर्णन को नहीं समझा सका। इसलिए इसे रद्द कर दिया गया। यह मॉडल परमाणु की विद्युत उदासीनता को पूर्णतया स्पष्ट करता था। थॉमसन को सन 1906 में भौतिकी में गैसों की विद्युत चालकता पर सैद्धान्तिक व प्रायोगिक जांच के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस परमाणु मॉडल के सिद्धान्त का खंडन अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने अपने सन 1911-1919 तक के परमाणु मॉडल के प्रयोगो के आधार पर किया।
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समवशरण. जैन धर्म में समवशरण "सबको शरण", तीर्थंकर के दिव्य उपदेश भवन के लिए प्रयोग किया जाता है| समवशरण दो शब्दों के मेल से बना है, "सम" (सबको) और "अवसर"। जहाँ सबको ज्ञान पाने का समान अवसर मिले, वह है समवशरण। यह तीर्थंकर के केवल ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् देवों द्वारा बनाया जाता है| समवशरण "जैन कला" में काफी प्रचलित है।
भवन.
समवशरण में तीर्थंकर एक कोमल गद्दी पर विराजमान होते है परंतु उसे छूते नहीं है (उससे दो उंगुल ऊपर)|[3] तीर्थंकर के पास उनके गणधर (मुख्य शिष्य) विराजते है। अन्य सभी इस प्रकार विराजते है:[4]
जैन ग्रंथो के अनुसार, समवशरण में चार चौड़ी सड़के होती है जिनमे हर सड़क पर एक मानस्तंभ होता है।[5] भवन का कुल आकार उस युग में लोगों की ऊंचाई पर निर्भर करता है|
समवशरण का प्रभाव.
समवशरण में तीर्थंकर पूर्व दिशा की और मुख करके विराजते है, पर ऐसा प्रतीत होता है की वह चारों दिशाओं में देख रहे है।[4] तीर्थंकर सरलता से जैन दर्शन का उपदेश देते हैं।[7] सभी जीव (जानवर भी) इस उपदेश को सुनते है, और अहिंसा के मार्ग पर अगर्सर होते है। तीर्थंकर की दिव्य ध्वनि सबको समान रूप से सुनाई पड़ती है।[4]
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देवभूमि द्वारका जिला. देवभूमि द्वारका जिला () भारत देश में गुजरात प्रान्त के सौराष्ट्र विस्तार में स्थित राज्य के ३३ जिलों में से एक जिला है। जिले का नाम कृष्ण की कर्मभूमि द्वारका से पड़ा है। जिले का मुख्यालय खम्भालिया है। १५ अगस्त २०१३ को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जामनगर जिला का विभाजन करके देवभूमि द्वारका को नया जिला बनाने की घोषणा की थी। द्वारका जिला कच्छ की खाड़ी और अरबी समुद्र के तट पर बसा है। द्वारका हिन्दू धर्म के प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। यहाँ से हिन्दू धर्म में पवित्र माने जाने वाली गोमती नदी पसार होती है। द्वारकाधीश का जगत मन्दिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
दर्शनीय स्थल.
जगत मन्दिर.
द्वारका में द्वारकाधीश का मुख्य मन्दिर जगत मन्दिर के नाम से जाना जाता है। समग्र विश्व में प्रसरे सनातन धर्म के लोगो के लिए ये मन्दिर श्रद्धा एवम आस्था का प्रतिक माना जाता है। भारत, नेपाल और विश्व में बसे हिन्दू लोग यहा पे द्वारकाधीश के दर्शन हेतु आते है।
गोमती तालाब.
द्वारका के दक्षिण में एक लम्बा तालाब है। इसे 'गोमती तालाब' कहते है। इसके नाम पर ही द्वारका को गोमती द्वारका कहते है। भारतीय संस्कृति में अति पवित्र माने जाने वाली प्राचीन नदियों में से एक गोमती है। ये नदी यहाँ से पसार होती है।
निष्पाप कुण्ड.
गोमती तालाब के ऊपर नौ घाट है। इनमें सरकारी घाट के पास एक कुण्ड है, जिसका नाम निष्पाप कुण्ड है। इसमें गोमती का पानी भरा रहता है। नीचे उतरने के लिए पक्की सीढ़िया बनी है। यात्री सबसे पहले इस निष्पाप कुण्ड में नहाकर अपने को शुद्ध करते है। बहुत-से लोग यहां अपने पुरखों के नाम पर पिंड-दान भी करतें हैं।
दुर्वासा और त्रिविक्रम मंदिर.
दक्षिण की तरफ बराबर-बराबर दो मंदिर है। एक दुर्वासा का और दूसरा मन्दिर त्रिविक्रमजी को टीकमजी कहते है। त्रिविक्रमजी के मन्दिर के बाद प्रधुम्नजी के दर्शन करते हुए यात्री इन कुशेश्वर भगवान के मन्दिर में जाते है। मन्दिर में एक बहुत बड़ा तहखाना है। इसी में शिव का लिंग है और पार्वती की मूर्ति है।
कुशेश्वर मंदिर.
कुशेश्वर शिव के मन्दिर के बराबर-बराबर दक्षिण की ओर छ: मन्दिर और है। इनमें अम्बाजी और देवकी माता के मन्दिर खास हैं। रणछोड़जी के मन्दिर के पास ही राधा, रूक्मिणी, सत्यभामा और जाम्बवती के छोटे-छोटे मन्दिर है।
हनुमान मंदिर.
आगे वासुदेव घाट पर हनुमानजी का मन्दिर है। आखिर में संगम घाट आता है। यहां गोमती समुद्र से मिलती है। इस संगम पर संगम-नारायणजी का बहुत बड़ा मन्दिर है।
शारदा मठ.
शारदा-मठ को आदि गुरु शंकराचार्य ने बनबाया था। उन्होने पूरे देश के चार कोनों में चार मठ बनायें थे। उनमें एक यह शारदा-मठ है। परंपरागत रूप से आज भी शंकराचार्य मठ के अधिपति है। भारत में सनातन धर्म के अनुयायी शंकराचार्य का सम्मान करते है।
चक्र तीर्थ.
संगम-घाट के उत्तर में समुद्र के ऊपर एक ओर घाट है। इसे चक्र तीर्थ कहते है। इसी के पास रत्नेश्वर महादेव का मन्दिर है।
कैलाश कुण्ड.
इनके आगे यात्री कैलासकुण्ड़ पर पहुंचते है। इस कुण्ड का पानी गुलाबी रंग का है। कैलासकुण्ड के आगे सूर्यनारायण का मन्दिर है। इसके आगे द्वारका शहर का पूरब की तरफ का दरवाजा पड़ता है। इस दरवाजे के बाहर जय और विजय की मूर्तिया है।
गोपी तालाब.
जमीन के रास्ते जाते हुए तेरह मील आगे गोपी-तालाब पड़ता है। यहां की आस-पास की जमीन पीली है। तालाब के अन्दर से भी रंग की ही मिट्टी निकलती है। इस मिट्टी को वे गोपीचन्दन कहते है।
बेट द्वारका.
बेट-द्वारका ही वह जगह है, जहां भगवान कृष्ण ने अपने प्यारे भगत नरसी की हुण्डी भरी थी। बेट-द्वारका के टापू का पूरब की तरफ का जो कोना है, उस पर हनुमानजी का बहुत बड़ा मन्दिर है। इसीलिए इस ऊंचे टीले को हनुमानजी का टीला कहते है। आगे बढ़ने पर गोमती-द्वारका की तरह ही एक बहुत बड़ी चहारदीवारी यहां भी है। इस घेरे के भीतर पांच बड़े-बड़े महल है। ये दुमंजिले और तिमंजले है। पहला और सबसे बड़ा महल श्रीकृष्ण का महल है। इसके दक्षिण में सत्यभामा और जाम्बवती के महल है। उत्तर में रूक्मिणी और राधा के महल है। इन पांचों महलों की सजावट ऐसी है कि आंखें चकाचौंध हो जाती हैं। इन मन्दिरों के किबाड़ों और चौखटों पर चांदी के पतरे चढ़े हैं। भगवान कृष्ण और उनकी मूर्ति चारों रानियों के सिंहासनों पर भी चांदी मढ़ी है। मूर्तियों का सिंगार बड़ा ही कीमती है। हीरे, मोती और सोने के गहने उनको पहनाये गए हैं। सच्ची जरी के कपड़ों से उनको सजाया गया है।
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सत्यव्रत सिद्धांतालंकार. सत्यव्रत सिद्धांतालंकार (1898-1992) भारत के शिक्षाशास्त्री तथा सांसद थे। वे उपनिषदों के एक मूर्धन्य ज्ञाता थे। वे गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे तथा उन्होने शिक्षाशास्त्र एवं समाजशास्त्र पर कई पुस्तकें लिखीं। इन्होने स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान सत्याग्रह में भाग लिया और कुछ समय जेल में भी रहे। उन्होंने 'ब्रह्मचर्य संदेश' जैसी पुस्तकें लिखीं। 'एकादशोपनिषद्' उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसमें उन्होने मुख्य उपनिषदों का सुगम हिन्दी भाष्य लिखा है। पेशे से वे एक होम्योपैथी डॉक्टर थे। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने, जो ख़ुद उपनिषदों की टीका लिख चुके थे, आपकी किताब के लिए प्राक्कथन लिखा था और आपको राज्यसभा के लिए मनोनीत भी किया था।
१९६४ से १९६८ तक वे राज्य सभा के सदस्य रहे।
जीवन.
इनका जन्म लुधियाना के सबद्दी ग्राम में १८९८ में हुआ था। १९१९ में गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार से स्नातक होने के बाद वो कोल्हापुर, बेंगलूर, मैसूर और मद्रास में ४ वर्ष तक समाजसेवा की।
1923 में आप “दयानन्द सेवा सदन” के आजीवन सदस्य होकर गुरुकुल विद्यालय में प्रोफेसर हो गए। 15 जून 1926 को आपका विवाह श्रीमती चन्द्रावती लखनपाल से हुआ जिन्होने सत्याग्रह में भी भाग लिया और उनको 1952 में राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया।
१९३० में आप सत्याग्रह में गिरफ़्तार हुए लेकिन गाँधी-इरविन समझौते में छोड़ दिये गए। इसके बाद आपने समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, वैदिक-संस्कृति, गीता-भाष्य, उपनिषद प्रकाश जैसे ग्रंथ लिखे। आपके “एकादशोपनिषदभाष्य” की भूमिका राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने तथा आपके 'गीता भाष्य' की भूमिका प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने लिखी। आपके होम्योपैथी के ग्रंथों को सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ घोषित कर उन पर 1000 का पारितोषिक दिया गया। इन ग्रंथों का विमोचन राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने किया। 3 जनवरी 1960 को आपको “समाजशास्त्र” के मूल तत्व पर मंगलाप्रसाद पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।
1935 में डॉ. सत्यव्रत जी गुरुकुल विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त हुए। 15 नवम्बर 1941 को सेवाकाल समाप्त कर वे मुंबई में समाज सेवा कार्य में व्यस्त हो गए। 2 जुलाई 1945 को आपकी पत्नी कन्या गुरुकुल देहरादून की आचार्या पद पर नियुक्त हुईं। डॉ. सत्यव्रत जी ने इस बीच “समाजशास्त्र”, “मानव शास्त्र”, “वैदिक संस्कृति”, तथा “शिक्षा” आदि पर बीसों ग्रंथ लिखे जो विश्वविद्यालय में पढ़ाये जाने लगे।
4 जून 1960 को आप दोबारा 6 वर्ष के लिए गुरुकुल विश्वविद्यालय के उप कुलपति नियुक्त हुए। 3 मार्च 1962 को पंजाब सरकार ने आप के साहित्यिक कार्य के सम्मान में चंडीगढ़ में एक दरबार आयोजित करके 1200 रु. की थैली तथा एक दोशाला भेंट किया। 1964 में राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन ने आपको राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया। 1977 में आपके ग्रंथ “वैदिक विचारधारा का वैज्ञानिक आधार” पर गंगा प्रसाद ट्रस्ट द्वारा 1200 रु. और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2500 रु. और रामकृष्ण डालमिया पुरस्कार द्वारा 1100 रूपए का पुरस्कार दिया गया।
१९७८ में नैरोबी (पूर्वी अफ़्रीका) में आर्य सम्मेलन के अध्यक्ष रहे। 1978 में दिल्ली प्रशासन ने वेदों के मूर्धन्य विद्वान होंने के नाते करके आपको 2001 रु. तथा सरस्वती की मूर्ति देकर सम्मानित किया।
१९९२ में आपका देहावसान हुआ।
कृतियाँ.
आपने होम्योपैथी पर अनेक ग्रंथ लिखे हैं जिसमें “होम्योपैथिक औषधियों का सजीव चित्रण”, “रोग तथा उनकी होम्योपैथिक चिकित्सा”, “बुढ़ापे के जवानी की ओर”, तथा “होम्योपैथी के मूल सिद्धांत” प्रसिद्ध हैं। आपके अंग्रेजी में लिखे ग्रन्थ “Heritage of vediv culture”, “Exposition of vedic thought”, तथा Glimpses of the vedic”, Confidential talks to youngmen” का विदेशों में बहुत मान हुआ है। आपके नवीनतम ग्रंथ “ब्रह्मचर्य संदेश”। वैदिक संस्कृति का सन्देश”। तथा “उपनिषद प्रकाश” आदि अनेक वैदिक साहित्य के आप लेखक है।
दर्शन.
इन्होने उपनिषदों का भाष्य लिखा जो आधुनिक विज्ञान से तुलनात्मक रूप से लिखा गया। भारत में श्री शंकराचार्य (८वीं सदी), विवेकानंद (१९वीं सदी) और श्री अरबिन्दो के अलावे २०वीं सदी में इनके भाष्य को काफी पढ़ा गया।
जो बात इनको बाकी टीकाकारों से अलग करती है वो है आत्मा-परमात्मा के संबंध पर इनका निर्णय। ये कहते हैं कि उपनिषदों में ये नहीं कहा गया है कि आत्मा और परमात्मा एक है या अलग-अलग। बल्कि उपनिषदों में ये कहा गया है कि ब्रह्मांड और शरीर (पिंड) दोनों के नियम एक जैसे हैं। जैसे ब्रह्मांड का सार परमात्मा है, वैसे शरीर का सार आत्मा है - दोनों को "पुरुष" कहा गया है। उपनिषदों का सार आपने लिखा कि जैसे ब्रह्मांड में चेतन ब्रह्म है, वैसे शरीर में चेतन आत्मा है। उपनिषतों को आपने साक्षात्कार के ग्रंथ यानि अनुभूति के ग्रंथ बताया है।
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चकिया, बिहार. चकिया (Chakia) भारत के बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण ज़िले में स्थित एक शहर है। चकिया एक नगर परिषद है। पूर्वी चम्पारण जिला का एक मुख्य शहर है। यहाँ अंग्रेज द्वारा चिन्नी मिल उद्योग जो चम्पारण शुगर कंपनी, 1905 में बनाया गया था जो 1995 के पहले तक पूरी तरीके से बंद कर हो गया। यह शहर मुजफ्फरपुर से 48 KM और मोतिहारी से 32 KM दूर स्थित है। केसरिया स्तूप जाने के लिए यह सबसे करीब रेलवे स्टेशन और राष्ट्रीय मार्ग 28 से जुड़ा है। यहाँ के महत्वपूर्ण सड़क केसरिया रोड, साहेबगंज रोड, मोतिहारी रोड, मधुबन रोड तथा हॉस्पिटल रोड है।
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रिषड़ा. रिषड़ा (Rishra) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली ज़िले में स्थित एक शहर है। यह कोलकाता महानगर क्षेत्र का भाग है।
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अष्टनायिका. भरतमुनि ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ नाट्यशास्त्र में आठ प्रकार की नायिकाओं का वर्णन किया है, जिन्हें अष्टनायिका कहते हैं। आठ प्रकार की नायिकाएं ये हैं-
नायिका शब्द का अर्थ.
'नायिका' की परिकल्पना संस्कृत साहित्य, विशेषकर भरतमुनि की देन है, जो नाट्यशास्त्र के रचयिता और भारतीय शास्त्रीय नृत्य और नाटक को अनुशाषित करने वाले सिद्धान्तों के प्रतिपालक थे। भरत ने पुरुष और महिलाओँ का वर्गीकरण किया, जिन्हें नायक और नायिका, यानी क्रमशः प्रेमी और प्रेमिका कहा गया। यह वर्गीकरण उनकी शारीरिक और मानसिक विशेषताओं, गुणों, मनोदशाओं, स्वभाव और भावात्मक अवस्थाओं और स्थितियों के अनुसार किया गया। इसके अंतर्गत नारी के मनोभावों का और उसके प्रेम क विभिन्न चरणों का वर्गीकरण बड़े उत्साह और सूक्ष्मता से किया है।
अष्टनायिका से प्रेरित अन्य साहित्य.
वर्तमान नवीन युग में भी अष्टनायिका से प्रेरित साहित्य की रचनाएँ होती रही हैं। भारतीय साहित्य में अष्टनायिकाओं का वर्गीकरण एवं चित्रण आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना प्राचीन समय में था। नाट्य, काव्य, एवं कला के अन्य क्षेत्रों में अष्टनायिकाओं का कई बार चित्रण किया गया है।
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दण्डकारण्य. दण्डकारण्य (दण्डक + अरण्य = दण्डक वन) प्राचीन भारत का एक क्षेत्र था। ये वर्तमान में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में आता है।
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उत्पलदेव. उत्पलदेव (सीए-ईसा ९००-९५०) एक महान कश्मीर शैव के दार्शनिक और अध्यापक थे ।
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नन्द बाबा. नन्द (नन्द गोप , नन्द राय या नन्द बाबा), हरिवन्श व पुराणो के अनुसार "पावन ग्वाल" के रूप मे विख्यात यादव गोपालक जाति के मुखिया थे। वह एक राजा और क्षत्रिय थे। वह भगवान कृष्ण के पालक पिता थे।
नन्द प्राचीन यादव साम्राज्य के शक्तिशाली मंडलों में से एक, गोकुल मण्डल के मंडलाधीश या प्रमुख थे। रिश्ते में नन्द और वसुदेव चचेरे भाई थे। वसुदेव ने अपने नवजात शिशु कृष्ण को लालन पालन हेतु नन्द को सौंप दिया था। नन्द व उनकी पत्नी यशोदा ने कृष्ण व बलराम दोनों को पाला-पोसा। नन्द का पुत्र होने के नाते कृष्ण का एक नाम "नंद-नंदन" , नंदलाल , नंद कुमार भी है। महाराज नंद को यादवों में मुख्य श्रेष्ठ भी कहा गया है।
भागवत पुराण और गर्ग संहिता जैसे कुछ संस्कृत ग्रंथों में महाराज नंद को अहीर और यदुवंशी बताया गया है।
नन्द पौराणिकी.
राजा नन्द.
अनेक शास्त्रों में नन्द को राजा नन्द (नन्द राय) के रूप में व्यक्त किया गया है। नन्द राजा वसुदेव के संबंधी व चचेरे भाई थे
कृष्ण चरित्र.
"भागवत पुराण " के अनुसार, गोकुल राज्य के राजा नन्द, राजा वसुदेव के चचेरे भाई थे।
राजा वसुदेव का विवाह मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की पुत्री देवकी से हुआ था। देवकी कंस की चचेरी बहन थीं | कंस ने अपने पिता उग्रसेन को कारागार मे डाल कर मथुरा का राज्य स्वयं हड़प लिया था। देवकी के आठवें पुत्र द्वारा कंस के वध की आकाशवाणी के प्रभाव मे कंस ने देवकी सभी पुत्रो को जन्म के समय ही मार देने की योजना बनाई थी। इस प्रकार देवकी के छः पुत्रों का वध कर दिया गया। परंतु सातवें पुत्र के गर्भ को योगमाया द्वारा रोहिणी के गर्भ मे स्थापित कर दिया गया, ।
नन्द गोपेश्वर.
नन्द गोप एक बार शुक्लतीर्थ की यात्रा पर गए। रास्ते में उन्होने "कोटेश्वर शिव" की आराधना नित्य दस करोड़ ताजपुष्पों से की। कुछ समय पश्चात शिव प्रसन्न हुये व उन्हे अपने "गणों" में शामिल किया और इस प्रकार नन्द गोपेश्वर कहलाए।
नन्द स्मारक.
नंदगाँव.
ब्रज मे बरसाना के निकट नंदगाँव एक धार्मिक स्थल है। यह अधीनस्थ सामंत नन्द बाबा की राजधानी था जहां वह अपने अनुयायियों व ग्वालों (गोपो )साथ निवास करते थे।
नन्द भवन (चौरासी खंबा मंदिर).
नन्द के निवास स्थल को "नन्द भवन" कहा जाता है, जहाँ कृष्ण बड़े हुये व अपने बाल्यकाल के कुछ वर्ष बिताए वहाँ महाबन का प्रमुख प्रसिद्ध मंदिर है। पीले रंग की इस इमारत के अंदर चौरासी खंभे हैं जिन पर कृष्ण के बाल्यकाल की अनेकों आकृतियाँ चित्रित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस भौतिक जगत मे 84000 प्रकार के जीव जन्तु हैं और प्रत्येक खंभा ब्रह्मांड मे निवास करने वाली 1000 योनियों का प्रतीक है।
नन्द घाट.
नन्द घाट पवित्र नदी यमुना के तट पर स्थित है। यह घाट इस घटना से संबन्धित बताया जाता है जबकि एक बार नन्द को यमुना नदी में स्नान करते समय बरुण भगवान के अनुयायियों ने बंदी बना लिया था और कृष्ण ने उन्हे छुड़ाया था।
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आदिल मन्सूरी. आदिल मन्सूरी (18 मई 1936 - 6 नवंबर, 2008) एक प्रसिद्ध कवि, नाटककार, और सुलेखक था। उन्होंने कई भाषाओं, अर्थात्, गुजराती, हिन्दी और उर्दू में लिखा।
जीवन.
आदिल मंसूरी,जन्म समय नाम फरीद मोहम्मद गुलाम नबी मंसूरी, 18 मई 1936 को अहमदाबाद में हुआ था। उन्होंने प्रेमचंद रायचंद ट्रेनिंग कॉलेज, अहमदाबाद से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की और जीएल निऊ इंग्लिश स्कूल, अहमदाबाद और महानगर हाईस्कूल, कराची से अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। उन्होंने कई व्यवसायों पर अपना हाथ अजमाई। उन्होंने कराची में और अपने पूर्वजों के कपड़े की दुकान पर और बाद में अहमदाबाद में कपास और कपड़े के व्यवसाय में काम किया। उन्होंने अंग्रेजी "टॉपिक" और गुजराती "अंगना" पत्रिकाओं के साथ पत्रकार के रूप में काम किया। 1972 में विज्ञापन एजेंसी शिल्पी का कॉपीराइटर था। बाद में उन्होंने भारत छोड़ दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका चला गया। 6 नवंबर 2008 को संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यू जर्सी में उनकी मौत हो गई।
रचनाएँ.
उनकी गजल की प्रयोगात्मक रूपों में दिलचस्पी थी। वलांक (1963), पगार्व (1966) और सतात (1970) उनके गजल संग्रह हैं। उन्होंने कई अन्य रूपों में कविता लिखी है, लेकिन उन्हें मुख्यतः अपने गजलों के लिए जाना जाता है। उनकी गजल उर्दू गजल से प्रभावित हैं। उन्होंने गुजराती, हिंदी और उर्दू में गजलें लिखी और एक भाषा के शब्दों का दूसरी में खुल कार इस्तेमाल किया।
"हाथ पग बंधायेला छे" (1970) और जे" नथी ते" (1973) उनके अब्सर्ड एकांकी नाटकों के संग्रह हैं।
पुरस्कार.
उन्होंने 2008 में वली गुजराती पुरस्कार प्राप्त किया।
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राजस्थान में पर्यटन. राजस्थान भारत का एक राज्य है जो पर्यटन के लिए सबसे अच्छा राज्य माना जाता है। राजस्थान राज्य में हर ज़िले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है, यहां विशेषरूप से दुर्ग है जो लगभग हर ज़िले में है। इनके अलावा राजस्थान में कई पौराणिक मन्दिर भी है।
प्राकृतिक सुंदरता और महान इतिहास से संपन्न राजस्थान में पर्यटन उद्योग समृद्धिशाली है। राजस्थान देशीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने ज़रूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यटकों के लिए "गोल्डन ट्रायंगल" का हिस्सा है। जयपुर के महल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानियों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। इन प्रसिद्ध स्थलों को देखने के लिए यहाँ हज़ारों पर्यटक आते हैं। जयपुर का हवामहल, जोधपुर, बीकानेर के धोरे और जैसलमेर के धोरे काफी प्रसिद्ध हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ दुर्ग ,सवाई माधोपुर का रणथम्भोर दुर्ग एवं चित्तौड़गढ़ दुर्ग काफी प्रसिद्ध है। यहाँ राजस्थान में कई पुरानी हवेलियाँ भी है जो वर्तमान में हैरीटेज होटलें बन चुकी हैं। पर्यटन ने यहाँ आतिथ्य क्षेत्र में भी रोज़गार को बढ़ावा दिया है। यहाँ की मुख्य मिठाई "जलेबी" है।
महल.
दिल्ली के प्रमुख 10 पर्यटन स्थल
राजस्थान अपने प्राचीन महलों ,दुर्गों तथा मन्दिरों के लिए जाना जाता है।
लोकप्रिय पर्यटन स्थल.
अजमेर की ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह।
पर्यटन सर्किट.
राजस्थान में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। यहाँ के पर्यटन स्थलों को 10 सर्किटों में विभाजित किया गया हैं। कुछ मैदानी हैं तो कोई मरुस्थलीय, किसी में ऐतिहासिक भवन एवं किले शोभा बढ़ाते हैं तो कही अभ्यारण्य हैं। जानिये इन दस पर्यटन परिपथों के बारे में।
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विंडोज़ आर टी. विंडोज आरटी माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विकसित मोबाइल उपकरणों के लिए एक ऑपरेटिंग सिस्टम है, यह मुख्य रूप से टैबलेट कंप्यूटर के लिए हैं लेकिन सुवाह्य संगणक (लैपटॉप) के लिए भी उपलब्ध हैं। यह अनिवार्य रूप से 32-बिट एआरएम वास्तुकला (ARMv7) के लिए बनाया विंडोज़ 8.x का एक संस्करण है।
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अरवल्ली जिला. अरवल्ली जिला (Aravalli district) भारत के गुजरात राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय मोडासा है और ज़िले का नाम अरावली पर्वतमाला पर पड़ा है, जो ज़िले में विस्तारित है।
स्थापना.
१५ अगस्त २०१३ को गुजरात के तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साबरकांठा जिले का विभाजन करके नये अरवल्ली जिले की घोषणा की थी।
प्राथमिक परिचय.
अरवल्ली जिला गुजरात और राजस्थान की सीमा को जोड़ता है। जिले का नाम अरवल्ली की पर्वतमाला से पड़ा है। ये अरवल्ली की पर्वतमाला दांता और मोडासा के बीच में स्थित है। गुजरात सरकीर द्वारा २०१३ में ७ नये जिले की रचना की गई थी तब अरवल्ली साबरकांठा जिले से अलग होकर नया जिला बनाया गया था। २०१२ में गुजरात विधानसभा के चुनाव के बाद भारतीय जनती पार्टी की सरकार ने तत्कालिन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अरवल्ली को नया जिला बनाने की कार्यवाही की गई थी।अरवल्ली जिले में ६ तहसील है। जिले का क्षेत्रफल ३३०८ है। २०११ की जनगणना अनुसार अरवल्ली की जनसंख्या ९०,८,७९७ है। १००० पुरुष के सामने स्त्री की संख्या ९४६ है।
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विंडोज़ 8.x. विंडोज़ 8.x माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के निम्न संस्करणों को दर्शाता है:
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ओलिंपिक एयर. ओलिंपिक एयर (ग्रीक:Ολυμπιακή) यूनान की प्रमुख एजियन एरलाइन्स की सहायक एरलाइन्स है। इसकी स्थापना मूल रूप से यूनान की ओलिंपिक एरलाइन्स की निजीकरण के कारण हुआ था। ओलिंपिक एयर ने २९ सितम्बर २००९ मे अपनी पहली उड़ान भरी जबकि इसकी अधिकारिक रूप से स्थापना १ ऑक्टूबर २००९ से हुई। इसका मुख्य परिचालन केंद्र रोड्स इंटरनॅशनल एयरपोर्ट इसके सहायक परिचालन केंद्र के रूप मे कार्य करता है। इस एयरलाइन्स का मुख्य कार्यालय स्पार्टा नगर में आतन्स इंटरनॅशनल एरपोर्ट की बिल्डिंग संख्या ५७ मे स्थित है एवं इसका रिजिस्टर्ड पता कॉरोपी, क्रोपिया, ईस्टआफ्रिका है।
यह एरलाइन ऑय.ऐ टी ऐ के कोड OA , जो की इसे ओलिंपिक एरलाइन्स से विरासत मे मिला है, का इस्तेमाल करती है जबकि इसका ICAO कोड OAL है।
२२ फ़रवरी २०१० को ओलिंपिक एयर एवं इसकी प्रमुख प्रतिद्वंदी एजियन एअरलाइन्स विलय की घोषणा की एवं इसके बाद एजियन ब्रांड को ख़त्म कर दिया गया। हालाँकि इस विलय को युरोपियन कॉंपिटेशन्स कमिशन की आपतियों के कारण २६ जन्वरी २०११ को वापस ले लिया गया।
अंततः इस विलय को १० अक्टोबर २०१३ को युरोपियन कॉंपिटेशन्स कमिशन की मान्यता मिल गयी और अब ओलिंपिक एयर एजियन एरलाइन्स की एक सहायक एरलाइन्स है। इस समय इस के पास 14 बॉंबर्डियर डैश 8 विमानो का बेड़ा है।
इतिहास [संपादित करें].
पॅंतीयान प्रस्ताव [संपादित करें]
१६ सितम्बर२००८ को यूनान की सरकार ने ओलिंपिक एरलाइन्स की व्यापक पुनःसंरचना की घोषणा की तथा पॅंतीयान एरलाइन्स की योजना के अंतर्गत ओलिंपिक को एक निजी एरलाइन्स के रूप मे फिर से लॉंच किया गया अप्रैल २००९ तक पैनथिओन एवं ओलिंपिक एरलाइन्स साथ साथ कार्यरत रहीं जिसके बाद ओलिंपिक एरलाइन्स बंद कर दी गयी और पैनथिओन इसके सभी प्रमुख मार्गों पर उड़ान भरने लगी। इसके बाद का नाम बदल ओलिंपिक कर दिया गयाऔर वह इसके ६ रिंग्स वाले लोगो का भी इस्तेमाल करने लगी। इस तरह नयी ओलिंपिक एरलाइन्स पुरानी ओलिंपिक एरलाइन्स की क़ानूनी उत्तराधिकारी नही मानी गयी एवं इसका पुरानी एरलाइन्स के किसी भी कर्मचारी अथवा संपाति पर सीधे तौर से कोई अधिकार नही रहा।
कंपनी संबंधित मामले [संपादित करें].
स्वामित्व[संपादित करें].
वर्तमान मे एजियन एअरलाइन्स की ओलिंपिक एयर मे १००% भागीदारी है। इसके लिए एजियन ने ७२ मिलियन यूरो के भुगतान का वादा किया था। एजियन ने २० मिलियन यूरो का भुगतान २२ ऑक्टोबर २०१२ को किया और शेष राशि पाँच समान वार्षिक किस्तों मे दी जानी है और पहली किस्त २३ ऑक्टोबर २०१३ को दी गयी. दोनो एअरलाइन्स के लोगो और ब्रांड पहले जैसे ही बने रहेंगे और दोनो एअरलाइन्स अपने अपने अलग-अलग विमान दस्तों तथा उड़ान गतिविधियों को चालू रखेंगी।
गंतव्य [संपादित करें].
मुख्य आलेख :- ओलिंपिक एयर के गंतव्य [संपादित करें].
कोड साझेदारी समझौते [संपादित करें].
ओलिंपिक एअर का कई अन्य एअरलाइन्स जैसे के डेल्टा एअरलाइन्स, एटिहाड़, के एल एम, तारोम, आदि के साथ कोड-साझेदारी का समझौता था। एजियन द्वारा खरीद लिए जाने के बाद इन मे से अधिकतर समझौते समाप्त हो गये हैं। एजियन की सभी उड़ानो के लिए टिकट ओलिंपिक एअर की वेबसाइट से भी खरीदे जा सकते हैं।
ट्रॅवेलएर क्लब.
ट्रॅवेलएर क्लब की स्थापना २००९ में ओलिंपिक एयर द्वारा नियमित रूप से यात्रा करने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए की गयी थी. इसके सदस्य ओलिंपिक एयर तथा डेल्टा एरलाइन्स की उड़ानो,कार भाड़ा करने, होटेल बुक करने आदि सुविधाओं का प्रयोग करने पर "एयर माइल्स' प्राप्त करते थे।
नवंबर १४,२०१४ को ट्रॅवेलएर क्लब का एजियन एरलाइन्स के अपने फ्रीक्वेंट फ्लाइयर कार्यक्र्म माइल्स & बोनस मे विलय कर दिया गया। समाप्त किए गये कार्यक्र्म द्वारा अर्जित किए गये माइल्स को जून १,२०१५ तक स्थानांतरित किया जा सकता था।
अर्जित अवॉर्ड एवं मान्यताए [संपादित करें].
अपने लॉंच से लेकर अभी तक ओलिंपिक ने कई सारे अवॉर्ड एवं मान्यताए प्राप्त किए हैं:
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शंकर अबाजी भिसे. डॉ शंकर अबाजी भिसे (२९ अप्रैल १८६७ - ७ अप्रैल १९३५) भारत के एक वैज्ञानिक एवं अग्रणि आविष्कारक थे जिन्होने २०० के लगभग आविष्कार किये। उन्होने लगभग ४० आविष्कारों पर पेटेन्ट लिया था। उन्हें "भारतीय एडिसन" कहा जाता है। उन्होने भारतीय मुद्रण प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिससे छपाई की गति पहले की अपेक्षा बहुत बढ़ायी जा सकी। अन्तरराष्ट्रीय निवेशकों का मानना था कि उनके खोजें वैश्विक प्रिटिंग उद्योग में क्रांति ला देंगी। उन्हें अपने समय के अग्रणी भारतीय राष्ट्रवादियों का सहयोग और प्रशंसा मिली थी। उन्होंने बॉम्बे (वर्तमान में मुंबई) में एक साइंटिफ़िक क्लब खोला था और 20 साल की उम्र तक वो गेजेट और मशीनें बनाने लगे थे जिनमें टैंपर-प्रूफ बोतल, इलैक्ट्रिकल साइकिल कॉन्ट्रासेप्शंस, बॉम्बे की उपनगरीय रेलवे प्रणाली के लिए एक स्टेशन संकेतक शामिल थे।
डॉ.शंकर अबाजी भिसे का जन्म 29 अप्रैल, 1867 को मुंबई में हुआ था। बचपन के दिनों से ही विज्ञान के प्रति उनका काफी लगाव था। 14 साल की उम्र में ही उन्होंने अपने घर में ही कोयला गैस बनाने वाले एक उपकरण को बनाया। 16 साल की उम्र में उन्होंने आविष्कार के लिए इंग्लैंड या अमेरिका जाने का फैसला किया। 1890-95 के दौरान उन्होंने ऑप्टिकल इलूजन पर काम किया। उन्होंने एक ठोस पदार्थ के दूसरे ठोस पदार्थ में परिवर्तित होने की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया। उन्होंने इंग्लैंड के मैनचेस्टर में इस तरह के शो का आयोजन किया। यूरोपीय लोगों ने जो आविष्कार किए थे, उनकी तुलना में भिसे के आविष्कार को श्रेष्ठ माना गया। अल्फ्रेड वेब नाम के वैज्ञानिक ने उनकी तारीफ की और उनको इस वजह से एक गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
प्रमुख आविष्कार.
शंकर अबाजी भिसे ने ने कोई 200 आविष्कार किए जिनमें से लगभग 40 अविष्कार उनके नाम पर पेटेंट भी हुए। मुंबई में उन्होंने एक साइंस क्लब की स्थापना की और 'विविध कला प्रकाश' नामक एक मराठी भाषा की विज्ञान पत्रिका का सम्पादन भी किया।
स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक, दादाभाई नौरोजी ने अभाजी भिसे के सभी प्रयासों में उनका समर्थन किया। उन्होंने ब्रिटेन में अभाजी भिसे को निवेशकों को खोजने में मदद की, लेकिन आशा के मुताबिक चीजें नहीं हो पाई। भारत में भी, रतन टाटा ने उनके आविष्कारों को वित्तपोषित करने का निर्णय लिया, लेकिन उनकी प्रिंटिंग की परियोजना नहीं चल पाई। यह सब उनके पतन का कारण बना और शायद इसीलिए उनका नाम इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया।
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अतिचार. अतिचार (Trespass), अपराध विधि या अपकृत्य (tort) का एक क्षेत्र है जिसके मोटे तौर पर तीन भाग हैं- व्यक्ति के साथ अतिचार, जंगम संपत्ति (chattels) के साथ अतिचार, तथा भूमि के साथ अतिचार।
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पेरोल. किसी बन्दी व्यक्ति को उसकी सजा की अवधि पूरी होने के पहले ही अस्थाई रूप से रिहा करने को पेरोल (parole) कहते हैं। पेरोल कुछ शर्तों के अधीन दिया जाता है।
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कलापी. कलापी नाम से सुप्रसिद्ध सुर सिंह तख्त सिंह गोहिल () (१८७४-१९००) गुजराती भाषा के जानेमाने राजवी कवि थे। कलापी का जन्म गुजरात प्रान्त में अमरेली जिले के लाठी शहर में हुआ था। कलापी लाठी के राजा थे। गुजराती साहित्य में कलापी का योगदान महत्वपूर्ण है।
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२००१ संसद भवन हमला. २००१ संसद भवन हमला एक आतंकवादी हमला था जो भारत के दिल्ली में संसद भवन पर १३ दिसंबर २००१ को हुआ था। संसद भवन पर हमला करने वाला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद नामक आतंकवादी संगठन थे। इस हमले में कुल १४ लोगों की जानें गई थी।
१३ दिसंबर २००१ को, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैय्यबा नामक आतंकवादी संगठनों के पांच आतंकवादियों ने भारत की संसद पर एक घातक हमला किया। इस आतंकी हमले का मुख्य आरोपी मोहम्मद अफ़ज़ल गुरु था। इस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच जवान, एक महिला कांस्टेबल और दो सुरक्षा गार्ड शहीद हो गए। सुरक्षा बलों ने सभी आतंकवादियों को मार गिराया। इस हमले ने देश को हिला कर रख दिया था, जिसमें कुल नौ लोगों की जान गई और १८ अन्य घायल हुए थे। आतंकवादियों ने संसद भवन में घुसने के लिए एक कार का इस्तेमाल किया, जिस पर गृह मंत्रालय और संसद के स्टिकर लगे हुए थे। वे AK-४७ राइफलों, ग्रेनेड लॉन्चरों और हैंड ग्रेनेड से लैस थे. हमले के समय संसद में कई महत्त्वपूर्ण नेता और मंत्री उपस्थित थे, लेकिन अधिकांश सुरक्षित रहे। इस घटना ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप २००१-२००२ का भारत-पाकिस्तान संकट हुआ.
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इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़. इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़ एक तकफिरी इस्लामी संगठन था। इसका उद्देश्य इराक के सुन्नी बहुमत क्षेत्रों में एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना था। इसकी स्थापना १५ अक्टूबर २००६ को इराक के कुछ विद्रोही संगठनों के विलयन से हुई थी।
अप्रैल २०१३ में यह इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य (आई॰एस॰आई॰एस॰, आई॰एस॰आई॰एल, आई॰एस) में तब्दील हो गया। आई॰एस॰आई॰एस॰ अभी भी सक्रिय है।
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अबु अय्यूब अल-मसरी. अबु अय्यूब अल-मसरी ( , "" ; (जन्म:१९६८-मृत्यु २०१०) एक अलकायदा का सक्रिय लड़ाकू था, तथा अलकायदा का वरिष्ठ लड़ाकू भी था। इनकी मौत २०१० में हुई थी।
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शेखर पाठक. डा. शेखर पाठक उत्तराखंड से एक भारतीय इतिहासकार, लेखक और विद्वान है। वह 1983 में स्थापित हिमालय क्षेत्र अनुसंधान के लिए पीपुल्स एसोसिएशन (पहाड़) के एक संस्थापक, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर और नई दिल्ली में तीन मूर्ति पर समकालीन अध्ययन के लिए केंद्र में एक नेहरू फैलो हैं।
उन्हें भारत की सरकार द्वारा 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
कैरियर.
दो दशकों के लिए नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रहे। हर दशक में एक बार, 1974, 1984, 1994 और 2004 में, उन्होंने, असकोट-आराकोट से एक पदयात्रा की।
2007 में उन्होंने मैगसेसे पुरस्कार विजेता, चंडी प्रसाद भट्ट, के साथ साथ हिमालय लोगों का अध्ययन करने के लिए लेह से अरुणाचल प्रदेश तक हिमालय से गुजरती एक तीन साल की परियोजना पर ले लिया। उन्होंने डॉ उमा भट्ट के साथ, एशिया की पीठ के अनुसार, हिमालय एक्सप्लोरर, पंडित नैन सिंह रावत की जीवनी "एशिया की पीठ पर" भी लिखी।
वह हिमालय लोगों पर अनुसंधान के लिए 1983 में स्थापित नैनीताल स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन, हिमालय क्षेत्र अनुसंधान के लिए पीपुल्स एसोसिएशन (पहाड़), द्वारा प्रकाशित वार्षिक के संस्थापक संपादक हैं।
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मराठवाडा मुक्ति संग्राम दिवस. मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस जो भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक राजकीय त्योहार है। यह त्योहार हर वर्ष १७ सितम्बर को मनाया जाता है। इस दिन १९४८ में मराठवाड़ा से निज़ाम कि सत्ता समाप्त हो गयी और वो भारत का हिस्सा बना।
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मस्तिष्क मृत्यु. मस्तिष्क का पूर्णतः काम करना बन्द करना तथा अच्छे होने की कोई सम्भावना न होना मस्तिष्क मृत्यु (Brain death) कहलाता है। दो प्रकार की मृत्युयों में से मस्तिष्क मृत्यु एक है तथा दूसरी 'रक्तसंचार एवं श्वसन का रुक जाना' है।
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बोटाद जिला. बोटाद ज़िला भारत के गुजरात राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय बोटाद है।
विवरण.
ज़िला सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित, राज्य के ३३ जिलों में से एक महत्वपूर्ण जिला है। जिसका मुख्यालय बोटाद है। २०१३ में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवेकानंद विकास यात्रा के दौरान भावनगर जिला और अहमदाबाद जिले का विभाजन करके नये बोटाद जिले की घोषणा की थी। भावनगर और अहमदाबाद के दो-दो तहसील जोड़के ४ तहसीलों का नया जिला बनाया गया था। जिले में ३ नगरपालिका है।
प्राथमिक जानकारी.
भौगोलिक द्रष्टि से बोटाद जिले के उत्तर में सुरेन्द्रनगर जिला, पश्विम में राजकोट जिला, दक्षिण में भावनगर और अमरेली जिला एवम पूर्व में अहमदाबाद जिला स्थित है। बोटाद जिला गढ़डा के स्वामिनारायण मन्दिर ओर साळींगपुर हनुमान मन्दिर के लिए गुजरात में ख्यात है। जिले का क्षेत्रफल २४६४ है। २०११ की जनगणना अनुसार जिले की जनसंख्या ६,४२,००० है।
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विश्वास सारंग. विश्वास सारंग (जन्म - 29 दिसम्बर 1971) भारतीय जनता पार्टी से जुड़े मध्यप्रदेश के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे 2008 से भोपाल के नरेला से मध्यप्रदेश विधानसभा के पहले एवं वर्तमान विधायक हैं। सारंग ने 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अधीन मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया।
जीवन परिचय.
विश्वास सारंग की शिक्षा स्टैण्डर्ड पब्लिक स्कूल लखेरापुरा, भोपाल से हुई है, जहाँ उन्होंने बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की l गोंदिया जिले के M.I.E.T. महाविद्यालय से बी.ई. (सिविल इंजीनियरिंग) की उपाधि प्राप्त की। वे बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवक रहे हैं। आपने छात्र जीवन में रहते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की।
विदेश यात्रा.
वर्ष 2011 में - विधायक प्रतिनिधिमंडल के साथ ग्रीस, स्विट्ज़रलैण्ड, बेल्जियम, आस्ट्रिया, जर्मनी, फ़्रांस, यू.ए.ई. एवं मलेशिया की यात्रा की।
वर्ष 2012 में - दक्षिण अफ्रिका
वर्ष 2016 में - चीन
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ब्रेट्ट मैकगर्क. ब्रेट्ट मैकगर्क (अँग्रेजी: Brett H. McGurk, जन्म: 20 अप्रैल, 1973) अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा आईएसआईएल के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के लिए राष्ट्रपति के विशिष्ट दूत हैं। इसके पूर्व वे इराक मसले पर व्हाइट हाउस के सलाहकार थे।
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द राइट ऑनरेबल. द राइट ऑनरेबल () संक्षेप में (The Rt Hon. या Rt Hon.) एक ऐसी सम्माननीय शैली या सम्मानसूचक शब्द है जिसे परंपरागत रूप से यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कुछ राष्ट्रमंडल देशों, मॉरिशस इत्यादि में कुछ अति विशिष्ट लोगों या समूहों के लिये उनके नाम के आगे उपसर्ग के रूप में प्रयोग किया जाता है।
सामूहिक संस्थाओं.
द राइट ऑनरेबल विभिन्न लोगों के समूह को संदर्भित करने के लिये प्रयोग की जाती है, जैसे:
सम्मानसूचक शब्द का प्रयोग.
ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में सदस्य एक दूसरे को "द ऑनरेबल मेम्बर फॉर ..." यानि (<निर्वाचन क्षेत्र>) से आने वाले आदरणीय सदस्य कहकर बुलाते हैं। लेकिन अगर वह सांसद सम्राट के सलाहकार समिति में रह चुके हैं तो उन्हें "द "राइट" ऑनरेबल मेम्बर फॉर ..." कहकर संबोधित किया जाता है। सम्मानसूचक उपसर्ग में "राइट" शब्द का प्रयोग सलाहकार समिति (प्रिवी काउन्सिल) के सदस्यों के लिये किया जाता है। अन्य सांसदों के लिये यह प्रयुक्त नहीं होता है। पहले कुछ सदस्यों के लिये "ऑनरेबल ऐंड रेवरेन्ड", "ऑनरेबल ऐंड गैलेन्ट" और "ऑनरेबल ऐंड लर्न्ड") का भी प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब ये आम नहीं हैं।
सामान्यत: राष्ट्रकुल में मंत्रियों व न्यायधीषों को "द ऑनरेबल" कह कर तब तक संबोधित किया जाता है जब तक वह यूनाइटेड किंगडम की सलाहकार समिति के सदस्य नहीं चुन लिये जाते। इसके बाद उन्हें "द राइट ऑनरेबल" कह कर संबोधित किया जाता है। सामान्यत: ऐसे लोगों में प्रधानमंत्री, न्यूज़ीलैंड के न्यायाधीष व अन्य राष्ट्रकुल देशों के प्रधानमंत्री शामिल होते हैं।
ऑस्ट्रेलिया.
In ऑस्ट्रेलिया में उन्नीसवीं शताब्दी के कुछ औपनिवेशिक वायसरायों को परामर्श समिति का सदस्य भी चुना गया था, और इस तरह उन्हें द राइट ऑनरेबल भी कहा गया। १९०१ में संघ बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया के गवर्नर जनरल ऑस्ट्रेलिया का उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और कुछ अन्य मंत्रियों को ये उपाधि मिली थी।
कुछ ऑस्ट्रेलियाई जिनके परिवार इंग्लैंड के बैरों, विस्काउंट और अर्ल सामंती व्यवस्था से ताल्लुक रखते हैं भी "राइट ऑनरेबल" का उपयोग करते हैं। ऑस्ट्रेलिया में मेयरों को भी उनके कार्यकाल के दौरान "द राइट ऑनरेबल" कहकर पुकारा जाता है।
कनाडा.
कनाडा में सम्मानसूचक शब्दों के रूप में, "L'Honorable" और "le Très Honorable" का फ्रेंच भाषा में संघीय सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। सिर्फ़ सरकार के अति विशिष्ट और वरिष्ठ पदों पर नियुक्त व्यक्तिओं के लिये ही "द राइट ऑनरेबल" का प्रयोग होता है। कनाडा में निम्नलिखित पदवियों को धारण करने वालों को आजीवन "द राइट ऑनरेबल" की उपाधि मिलती है।
हालांकि कनाडा के गवर्नर जनरल इस उपाधि को किसी भी अन्य कनाडियाई विशिष्ट नागरिक को यह उपाधि प्रदान कर सकते हैं भले ही उसने कभी उपरोक्त तीन पदवियाँ धारण ना की हों।:
गवर्नर जनरलों को उनके कार्यकाल के दौरान "हिज़/हर एक्सीलेम्सी" से भी संबोधित किया जाता है। रानी के लिये कनाडा की परामर्श समिति व कनाडा की सीनेट के सदस्यों को "द ऑनरेबल" सम्मानसूचक उपसर्ग से संबोधित किया जाता है।
आयरलैंड.
आयरलैंड की परामर्श समिति के सदस्य "द राइट ऑनरेबल" कहलाने के हकदार होते थे लेकिन दिसम्बर १९२२ में आइरिश स्वतम्त्र गणराज्य के गठन के बाद परामर्श समितियाँ भंग कर दी गयीं और उसके साथ ही यह उपाधि भी किसी को नहीं मिली। हालांकि डब्लिन के लॉर्ड मेयर ने इसका उपयोग ज़ारी रखा और अंतत: उसे भी २००१ में स्थानीय सरकार के कानूनी सुधारों के अम्तर्गत खत्म कर दिया गया।
न्यूज़ीलैंड.
न्यूज़ीलैंड में प्रधानमंत्री और कुछ अन्य वरिष्ठ काबीना मंत्रीयों को परंपरागत रूप से यूनाइटेड किंगडम की परामर्श समिति में नियुक्त किया जाता था और इसलिये उन्हें भी "द राइट ऑनरेबल" के नाम से जाना जाता था।
अगस्त 2010 में, न्यूज़ीलैंड की रानी ने घोषणा की, कि वो व्यक्ति जो निम्नलिखित पदवियों पर हैं या कभी थे वो आजीवन "द राइट ऑनरेबल" कहलाने के हकदार होंगे।
ऐसा परिवर्तन इसलिये किया गया क्योंकि अब न्यूज़ीलैंड से परामर्श समिति में नियुक्तियाँ नहीं होती थीं।
यूनाइटेड किंगडम.
The prefix is customarily abbreviated to "The" in many situations, but never for Privy Counsellors. The following persons are entitled to the style in a personal capacity:
The following persons are entitled to the style "ex officio". The style is added to the name of the office, not the name of the person:
All other Lord Mayors are "The Right Worshipful"; other Lord Provosts do not use an honorific. By the 1920s, a number of city mayors, including that of Leeds, were unofficially using the prefix "The Right Honourable" and the matter was consequently raised in Parliament. Interestingly, the Lord Mayor of Bristol at present still uses the prefix "Right Honourable", without official sanction. The Chairman of the London County Council (LCC) was granted the style in 1935 as part of the celebrations of the silver jubilee of King George V. The Chairman of the Greater London Council, the body that replaced the LCC in 1965, was similarly granted the prefix, but was abolished in 1986.
Privy Counsellors are appointed for life by the Monarch, on the advice of the Prime Minister. All members of the British Cabinet (technically a committee of the Privy Council) are appointed to the Privy Council, as are certain other senior ministers in the government and leaders of the major political parties. The Privy Council thus includes all current and former members of the Cabinet of the United Kingdom, excepting those who have resigned from the Privy Council. The First Ministers of Scotland, Wales and Northern Ireland are also so appointed.
In order to differentiate peers who are Privy Counsellors from those who are not, the suffix "PC" should be added after the name (according to Debrett's Peerage (2015)). This is not however considered correct by "Who's Who" (2002).
स्कॉटलैंड.
स्कॉटलैंड के फ़्युडल बैरों को "द मच ऑनर्ड" शैली का उपयोग करते हैं।
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प्रचक्रण क्वान्टम संख्या. परमाणु भौतिकी के सन्दर्भ में, प्रचक्रण क्वान्टम संख्या (spin quantum number) वह क्वाण्टम संख्या है जो किसी कण के कोणीय संवेग को निरूपित करता है। इसे s से निरूपित किया जाता है।
इस क्वान्टम संख्या के बारे मे जॉर्ज उहलेंबैक और सैमुयल माउटस्मिथ मे बताया। इसे s द्वारा दर्शाया जाता है। यह इलेक्ट्रॉन के कक्षक मे घूर्णन को दर्शाती है। इसके दो मान संभव है +1/2 व -1/2। इन मानो के आधार पर इलेक्ट्रॉन का चक्रण दर्शाया जाता है। यदि चक्रण क्वान्टम संख्या का मान +1/2 हो तो इलेक्ट्रॉन का चक्रण दक्षिणावर्त (Clockwise) होगा और यदि इसका मान -1/2 हो तो इलेक्ट्रॉन का घूर्णन वामावर्त (Anti Clockwise) होगा।
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प्लांक का क्वान्टम सिद्धान्त. मैक्स प्लांक ने किसी पिंड के उत्सर्जित व अवशोषित ऊर्जा के मात्रात्मक संबंधो को समझाया। उन्होने कहा की जब किसी ठोस वस्तु को एक सिरे से गरम किया जाता है तो धीरे-धीरे उसके ताप मे वृद्धि होती है और अलग-अलग तरंग्दैर्ध्य(ʎ) के विकिरण उत्सर्जित होते है। जैसे-जैसे वस्तु का ताप बढ़ाया जाता है तो उत्सर्जित ऊर्जा बढ़ने से आवृति बढ़ती जाती है और तरंग्दैर्ध्य(ʎ) घटती है। उन्होने कहा कि ऐसा आदर्श पिंड जो सभी प्रकार के विकिरणों को उत्सर्जित या अवशोषित करता है,कृष्णिका (Black Body)कहलाता है। उत्सर्जित व अवशोषित विकिरण कृष्णिका विकिरण कहलाती है। प्लांक के क्वान्टम सिद्धान्त के अनुसार "किसी वस्तु से विकिरणों का उत्सर्जन या अवशोषण असतत या विविक्त कम होता है और उत्सर्जित व अवशोषित विकिरण की ऊर्जा आवृति के समानुपाती होती है।
अर्थात Eαν या E=hν
E=hC/λ
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रॅफल्स होटल. रॅफल्स होटेल सिंगापुर मे स्थित एक औपनिवेशिक शैली वाला विलासिता प्रधान होटल है जिसकी स्थापना अर्मेनियाई होटल व्यवसायी सर्कीएस ब्रदर्स ने 1887 में की थी। इस होटेल का नाम प्रसिद्ध ब्रिटिश राजनेता सर थॉमस स्टैमफोर्ड रैफल्स (जो कि सिंगापुर के संस्थापक माने जाते हैं) के नाम पर किया गया था। यह होटेल फैरमोन्ट रॅफल्स होटेल्स इंटरनॅशनल कि सहायक कंपनी रॅफल्स होटेल्स एंड रिज़ॉर्ट्स की सबसे कीमती संपत्ति मानी जाती है।
इतिहास.
रॅफल्स होटेल सिंगापुर की शुरुआत १८३० मे समुद्र के किनारे बने एक छोटे से निजी बीच हाउस के रूप मे हुई थी। व्यवसायिक रूप से सबसे पहले यह एमर्सन'स होटेल के नाम से जाना गया जब इसे डॉक्टर चार्ल्स एमर्सन ने पट्टे पर लिया। १८८३ मे उनकी मृत्यु के बाद रॅफल्स इन्स्टिट्यूशन ने इसे अपने अंदर ले लिया और १८८७ मे पट्टे की समाप्ति तक यह एक बोर्डिंग हाउस के रूप मे चलता रहा।
पहले पट्टे की समाप्ति के तुरंत बाद सर्कीएस ब्रदर्स ने इस संपत्ति को पुनः पट्टे पर ले लिया। कुछ ही महीनो बाद दिसंबर १, १८८७ को दस कमरो वाले रॅफल्स होटेल का उद्घाटन किया गया। समुद्र तट से इसकी नज़दीकी एवं इसकी सेवायो तथा आवास सुविधा की उच्च गुणवत्ता के कारण यह जल्द ही सुविधा संपन्न ग्राहको के बीच लोकप्रिय हो गया.
होटेल की शुरू होने के एक दशक के अंदर ही मूल आवास वाले स्थान के साथ-साथ तीनऔर इमारतें खड़ी कर दी गयीं. सबसे पहले एक दो तलों वाली शाखा खड़ी की गई जिसके तह्त २२ अतिथि कमरों के सैट बनाए गये. जल्द ही ने पास ही मे न. ३ बीच रोड पर एक नयी बिल्डिंग पट्टे पर ली गई एवं इसके नवनिर्माण के बाद १८९४ मे पाम कोर्ट विंग के निर्माण का कार्य पुरा हो गया. इन नये भवनों के बनने के बाद होटेल मे अतिथि कमरों की कुल संख्या ७५ हो गयी।
कुछ सालों बाद असली बीच हाउस वाली जगह पर एक नयी मुख्य इमारत खड़ी की गयी. प्रख्यात वास्तुकार रेजेंट अल्फ़्रेड जॉन बिडवेल ऑफ स्वॅन आंड मक्लेरेन द्वारा डिजाइन किए गये इस भवन को १८८९ तक पुरा कर लिया गया। रॅफल्स होटेल की नयी मुख्य इमारत मे उस समय मे उपलब्ध सभी आधुनिकतम सुविधाएँ, जैसे क़ि बिजली से चलने वाली रोशनी एवं पंखे, प्रदान की जा सकती थी. वास्तव मे रॅफल्स होटेल इस क्षेत्र का पहला होटेल था जिसमे बिजली से चलने वाली रोशनी लगी हुई थी।
आने वाले समय मे रॅफल्स होटेल का विस्तार होता गया एवम् इसमे कई विंग्स, एक बॉलरूम, एक बरामदा और एक बिलियर्ड्स रूम भी जुड़ गये। १९३१ के महान आर्थिक संकट (ग्रेट डिप्रेशन) का असर रॅफल्स होटेल पर भी पड़ा और सर्कीएस ब्रदर्स दिवालिया हो गये. १९३३ मे इसकी आर्थिक समस्याएँ ख़त्म हुई और रॅफल्स होटेल लिमिटेड के नाम से एक पब्लिक कंपनी की स्थापना की गयी।
आर्केड.
रॅफल्स होटेल के अन्दर एक शॉपिंग आरकेड स्थित है जिसमे ४० विशेष बुटीक्स हैं. होटेल के अधिकतर रेस्तराँ भी आरकेड मे ही हैं।
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बैसोया. बैसोया ('बेसोया' अथवा 'बसोया' भी) भारत में एक गुर्जर गोत्र है। वर्तमान में बैसोया गुर्जर लोगों की मुख्य आबादी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में है। दिल्ली में इनके 7 गाँँव हैं। बैसोया गुर्जर उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिला में कई गांव मिलते हे एवं मेरठ जिले के क्षेत्र में भी कुछ गांव मिलते हैं।
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वल्य कूनम्बायिक्कुलम मन्दिर. वल्य कूनम्बायिक्कुलम मन्दिर (मलयालम:വലിയ കൂനമ്പായിക്കുളം ക്ഷേത്രം) केरल में स्थित एक प्रशस्त भद्रकाली मन्दिर है। इस मन्दिर का पहला नाम "पनम्काव मन्दिर" था। कोल्लम जिले में वटक्केविला पर स्तित यह मन्दिर तिरुवनन्तपुरम से 62 किलोमीटर दूर पर है। मन्दिर के मुख्य देवता भद्रकाली देवी हैं। देवी के साथ महा गणपति, ब्रह्मरक्षस, योगीश्नर, कण्टाकर्ण, वीरभद्र, यक्षियम्मा आदि मूर्तियाँ हैं। मन्दिर का निर्माण कोडुंङल्लूर भद्रकाली मन्दिर के साथ किया था। इस मन्दिर में एक विश्वास है कि नागराज और नागयक्षी मूर्तियाँ शादी संबधी दिक्कतों को दूर कर देते हैं। दूसरा विश्वास यह है कि, बच्चों को नहीं होने से लोग मन्दिर के बरगद के पेड़ों के शाखों पर ढोलनियाँ बाँधते हैं। मन्दिर के सामने देवी के नाम से एक विध्यालय है और उसका नाम है "देवी विलासम एल.पी.स्कूल'। मन्दिर के तालाब के साथ श्री नारायण गुरुदेव का मन्दिर है।
नाम के पीछे.
बहुत साल पहले इस जगह पर भद्रकाली का मन्दिर और तालाब थे। भद्रकाली देवी का अन्य नाम है "कूरुम्बा"(കൂരുംബ)। "काव"(കാവ്) एक मलयालम शब्द है और उसका अर्थ "मंदिर" है। "कुलम"(കുളം) भी एक मलयालम शब्द है और उसका अर्थ "तालाब" है। "कूनम्बक्काव कुलम"(കൂനമ്പക്കാവ് കുളം) शब्द से इस जगह को "कूनम्बायिक्कुलम"(കൂനമ്പായിക്കുളം) नाम मिला। वल्य(വലിയ) का अर्थ है "बड़ा"। इसलिए "वल्य कूनम्बायिक्कुलम मंदिर" का अर्थ है, "भद्रकाली का बड़ा मंदिर"। मन्दिर को मलयालम में "क्षेत्रम"(ക്ഷേത്രം) कहते हैं।
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नृसिंह. नृसिंह (जन्म लगभग 1586 ई०) भारत के गोलग्राम के निवासी एक खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे। वह कृष्ण दैवज्ञ के पुत्र थे। उनका वंश गोलग्राम के खगोलविदों और गणितज्ञों का वंश था। नृसिंह सूर्यसिद्धान्त पर सौरभाष्य नामक एक टीका लिखने के कारण प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भास्कर द्वितीय के सिद्धान्तशिरोमणि-वासनाभाष्य के गणिताध्याय और गोलाध्याय पर सिद्धान्तशिरोमणि-वासनावार्त्तिक नामक एक टीका भी लिखी।
नृसिंह के चार पुत्र हुए : दिवाकर (जन्म 1606), कमलाकर, गोपीनाथ और रंगनाथ।
कृतियाँ.
नृसिंह ने खगोल विज्ञान से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
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गोकुल शर्मा. 25 दिसंबर 1985 को असम के गुवाहाटी में पैदा हुए गोकुल शर्मा वर्तमान में असम की रणजी क्रिकेट टीम के नियमित सदस्य हैं। गोरखा मूल के गोकुल ने असम के लिए अपना पहला मैच साल 2004 में अपने ही गृहनगर गुवाहाटी में तमिलनाडू के ख़िलाफ़ खेलकर प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आगाज किया। दाएं हाथ के बल्लेबाज एवं ऑफ स्पिनर गोकुल ने उस मैच में 29 रन बनाने के अलावा एक विकेट भी झटके थे। गोकुल ने अब तक अपने प्रथम श्रेणी करियर के 41 मैचों में पांच शतको के साथ 1963 रन बनाए हैं। गेंदबाजी करते हुए अन्होंने 8 विकेट भी अपने नाम किए हैं।
गोकुल शर्मा भारत में सबसे ज्यादा प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने वाले गोरखा क्रिकेटर भी हैं। उनके अलावा सर्विसेज की तरफ से रिकार्ड 23 सालों तक क्रिकेट खेलने वाले धनश्याम थापा ने 1977 से 2000 के बीच 25 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में 885 रन बनाए थे। इस तरह गोकुल भारत के सबसे सफल गोरखा प्रथम श्रेणी क्रिकेटर भी हैं। भारत के लिए रणजी ट्रॉफी में खेलने वाले अन्य गोरखा क्रिकेटर में सर्विसेज के आर थापा ने भी 1985-86 में 1 रणजी मुकाबला खेला था। 30 साल के हो चले गोकुल सीमित ओवर के मुकाबलों मे असम के उपयोगी आलराउंडर में शुमार किए जीते हैं, उन्होंने 35 घरेलू वनडे में 604 रन बनाने के अलावा 24.16 की औसत से 24 विकेट भी चटकाएं हैं। साथ ही 21 टी 20 मैच में 140 रन के अतिरिक्त 12 विकेट भी झटके हैं।
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रामबन ज़िला. रामबन (अंग्रेज़ी: Ramban, उर्दु: رام بن) भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में एक नगर और ज़िला है। यह महान पीर पंजाल पर्वतमाला में स्थित है और राज्य के जम्मू विभाग का हिस्सा है। बनिहाल इसी ज़िले में आता है और कश्मीर घाटी में प्रवेश करने से पहले अंतिम पड़ाव है। यहाँ से रेल और जवाहर सड़क सुरंग बनने से पहले भी पास के बनिहाल दर्रे से यातायात कश्मीर जाया करता था।
भाषाएँ व समुदाय.
रामबन में कश्मीरी भाषा की एक उपभाषा, रामबनी बोली जाती है - हालांकि इसमें गहरे डोगरी भाषा के प्रभाव भी देखे जाते हैं। स्थानीय आबादी लगभग ७०% मुस्लिम और ३०% हिन्दू है।
तहसील.
ज़िले में आठ तहसीलें हैं:
भूगोल.
रामबन ज़िले की औसत ऊँचाई समुद्रतल से १,१५६ मीटर (३,७९२ फ़ुट) ऊपर है। इस ज़िले की सीमाओं में पत्निटॉप का हिल-स्टेशन दक्षिणतम भाग में आता है। पूर्वी छोर पर अस्सार, पश्चिमी पर गूल और उत्तरी पर बनिहाल स्थित है। भूक्षेत्र बहुत पहाड़ी है। इसकी सीमाएँ रेआसी, उधमपुर, डोडा, अनंतनाग और कुलगाम ज़िलों से लगती हैं।
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जैत्रसिंह चौहान. जैत्रसिंह चौहान (ई०१२४८-१२८२) राजस्थान के एक राजा थे। उन्हे रणथम्भौर साम्राज्य का एक महान शासक माना जाता है। रणथम्भौर साम्राज्य में महाराजा जैत्रसिंह का १२४९ ईस्वी के लगभग राज्यारोहण हुआ था। इन्होंने रणथम्भौर साम्राज्य पर ३२ साल तक शासन किया और रणथम्भौर साम्राज्य का विस्तार किया। इनके पुत्र का नाम हम्मीरदेव चौहान था जिन्होंने अपने पिता जैत्रसिंह की याद में रणथंभोर दुर्ग में ३२ खंभो की छतरी का निर्माण करवाया था।
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परमाणु भौतिकी. परमाणु भौतिकी (Atomic physics) के अन्तर्गत परमाणुओं का अध्ययन इलेक्ट्रानों तथा परमाणु नाभिक के विलगित निकाय के रूप में किया जाता है। इसमें अध्ययन का बिन्दु मुख्यतः यह होता है कि नाभिक के चारों तरफ इलेक्ट्रानों का विन्यास (arrangement) कैसा है और किस प्रक्रिया के द्वारा यह विन्यास परिवर्तित होता है।
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रामेश्वर त्रिवेणी संगम. राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के खंडार तहसील में स्थित तीन नदियों के संगम पर बना भगवान शिव का पवित्र स्थल राजस्थान का त्रिवेणी संगम नाम से प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां तीन प्रमुख नदियां आकर मिलती है।1. बनास नदी 2. चंबल नदी 3. सींप नदी
इतिहास.
आदि महाकाव्य रामायण के अनुसार वनवास के समय भगवान राम, लक्ष्मण व सीता वर्तमान सवाई माधोपुर की खण्डार तहसील में स्थित रामेश्वर तीर्थ की जगह एक रात का विश्राम किया था। रामायण के अनुसार दक्षिणी सागर ने जब भगवान राम को रास्ता नहीं दिया तो उसे सुखाने के लिए भगवान राम ने अमोघ बाण का प्रहार किया, जिससे समुद्र के स्थान पर मरूकान्तार हो गया जो अब राजस्थान का पश्चिमोत्तर भाग है। भूगर्भशास्र भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि जहाँ अभी रेगिस्तान है, वहां पहले समुद्र लहराता था। धार्मिक दृष्टि से पवित्र स्थल के रूप में विख्यात यह स्थान त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है, इस स्थान पर तीन प्रमुख नदियों का मिलान होता है, इसी कारण इसे त्रिवेणी संगम नाम दिया गया है, इस जगह पर चंबल नदी , बनास नदी एवं सीप नदी आकर मिलती है, कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में भगवान राम ने मिट्टी का शिवलिंग स्थापित करके इसी जगह पर भगवान शिव की पूजा की थी। वर्तमान में इस स्थान पर शिव भक्तों का वर्ष भर जमावड़ा लगा रहता है, चारों तरफ प्रकृति की हरियाली यहाँ के पवित्र स्थान पर चार चाँद लगा देती है। इस त्रिवेणी संगम के पास ही भगवान चतुर्भुजनाथ का मंदिर भी बना हुआ है।
मेला.
रामेश्वर शिव लिंग के दर्शनार्थ दूर दराज से आने वाले भक्तजन त्रिवेणी में स्नान कर भगवान शिव के शिव लिंग का जलाभिषेक करते हैं, इस स्थान पर प्रतिवर्ष 'कार्तिक पूर्णिमा' एवं 'महा शिवरात्री' पर विशाल मेला भरता है, लाखों की तादाद में यहाँ पर भीड़ इकट्ठा होती है। इस स्थान को राजस्थान में "मीणा जनजाति का प्रयागराज" भी कहाँ जाता है।
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माधो सिंह प्रथम. सरामद-ए-राजा-ए हिंदुस्तान राज-राजेश्वर राज-राजेंद्र महाराजधिराज महाराजा सवाई माधोसिँह जी प्रथम जयपुर के प्रमुख महाराजाओं में से एक थे। राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर के पूर्व महाराजा सवाई माधोसिंह जी प्रथम ने ही 1763 ईस्वी के लगभग की थी। सवाई माधोसिंह जी प्रथम की वजह से सवाई माधोपुर शहर 17वीं व 18वीं शताब्दी के आसपास एक ख्याति प्राप्त शहर माना जाने लगा था।
राजस्थान सरकार ने 15 मई 1949 में सवाई माधोपुर शहर को सवाई माधोसिंहजी के नाम पर जिला बनाकर उनके द्वारा स्थापित शहर का सम्मान बढ़ा दिया। तब से लेकर आज तक जिले का नाम सवाई माधोपुर के रूप में भारत स्तर पर जाना जाता है।
राज्याभिषेक_29/12/1750
महाराजा सवाई माधो सिंहजी की माता मेवाड़-उदयपुर के महाराणा अमर सिंहजी द्वितीय की पुत्री चँद्र कँवरजी थी।इसके अतिरिक्त बाईजी लाल विचित्र कँवरजी और किशन कँवरजी भी चँद्र कँवर से उत्पन्न हुई थी।
माधोसिँह जी की सात रानियाँ और पुत्र पाँच हुए थे जिनमे से उनके उत्तराधिकारी महाराजा सवाई पृथ्वी सिँहजी और उनके बाद बने महाराजा सवाई प्रताप सिँहजी की माता रानी चुंडावतजी कुंदन कँवरजी पुत्री रावत जसवंत सिंहजी देवगढ़ की थीं इसके अलावा अन्य रानियों में से रानी सिसोदीनीजी रतन कँवरजी पुत्री राजा सूरतान सिंहजी और दूसरी उनके पुत्र राजा सरदार सिंहजी बनेड़ा की पुत्री रानी ब्रज कँवरजी थीं। इनकी एक रानी राठौड़जी अर्जुन कँवरजी पुत्री महाराजा राय सिंहजी ईडर की और पौत्री महाराजा अजीत सिंहजी जोधपुर-मारवाड़ की थीं। अन्य पुत्र कुंवर मान सिँहजी,कुंवर भवानी सिँहजी और कुंवर रघुबीर सिँहजी भी हुए थे परंतु तीनों बाल्यकाल में ही समाप्त हो गए।
= सफदरगंज समझोता, 1758 __यह समझोता "माधोसिंह प्रथम" और "मुगल बादशाहअहमदशाह और नवाब सफदरगंज(अवध)" केमध्य 1758 कोहुआ =
इस समझौते के पश्चात मुगल बादशाह अहमदशाह ने माधोसिंह प्रथम को जनवरी1759 को रणथंभौर का किला भेंट किया।
= भरवाड़ा युद्ध_1761 =
कोटा शासक "शत्रुसाल, माधोसिंह" को रणथंभौरकिला दिए जानेके कारण अप्रसन हुए और बारां में यहयुद्ध हुआ
इसयुद्ध में शत्रुसाल के सेनापति झालाजालिम सिंह ने माधोसिंह को पराजित कर दिया
इसयुद्धके पश्चात शत्रुसाल ने रणथंभौर पर अधिकार कर लिया
1767 में माधोसिंह ने मावंडायुद्ध मे भरतपुर शासक जवाहरसिंह को पराजित किया गया
1763 मे मोतीडूंगरी महलों का निर्माण करवाया।
अपने भाई ईश्वरीसिंह से उतराधिकार को लेकर संघर्ष__
= झिलाई/जमोली संधि __1745 =
यह संधि माधोसिंह प्रथम व ईश्वरीसिंहके मध्य जयपुर के दीवान राजमलखत्री करवाता हैं।
इस संधि के तहत माधोसिंह को रामपुर व टोंक परगना देना तय हुआ। जो 5 लाख रुपए वार्षिक आय का परगना था l
= राजमहल का युद्ध__1 मार्च 1747 (टोंक में) =
ईश्वरीसिंह का साथ मुगलसेना ने दिया और माधोसिंहका साथ मेवाड़ महाराणा जगतसिंह2 और कोटा शासक दुर्जनसाल और मराठाओ ने दिया । लेकिन इस युद्ध में विजय ईश्वरीसिंह हुआ
= बगरू का युद्ध =
ईश्वरीसिंह का साथ मुगलसेना ने दिया और माधोसिंहका साथ मेवाड़ महाराणा जगतसिंह2 और कोटा शासक दुर्जनसाल और मराठाओ ने दिया । लेकिन इस युद्ध में विजय माधोसिंह की हुई
माधोसिंह के युद्धजितनेके पश्चात ईश्वरीसिंह से माल, निवाई, टोडा परगने मांगे जिसे ईश्वरी सिंह ने स्वीकार कर लिए।
और मराठाओं को हर्जाना दिलवाया।
ईश्वरी सिंहकी मृत्यु के बाद माधोसिंहप्रथम जयपुर का शासक बना।
5 मार्च 1768 गई।
By rajasthan history books
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मुद्रीकरण. किसी वस्तु को वैध मुद्रा (legal tender) में बदलना मुद्रीकरण (Monetization) कहलाता है।
भारत में मुद्रीकरण.
भारत सरकार ने वर्ष 2021-22 के बजट में ही संपत्ति के मुद्रीकरण पर काफी जोर देने की घोषणा की थी। भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना संकट के चलते काफी धीमे हो गई थी। सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए फाइनेंस जुटाने के नए विकल्प तलाश कर रही है।
भारत सरकार ने संपत्ति के मुद्रीकरण के लिए सड़क, बिजली, ट्रांसमिशन, तेल, टेलीकॉम टॉवर, स्टेडियमो सहित अन्य परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की योजना तैयार की है। इस योजना के तहत दूरसंचार क्षेत्र में 86 लाख किमी फाइबर संपत्ति और 14917 टॉवर व 81541 किमी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन, 6 गीगावॉट जलविद्युत और ऊर्जा संपत्ति इत्यादि संपत्तियाँ शामिल है।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना.
हाल ही में वित्त मंत्री ने 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत 2022-25 तक 6 लाख करोड़ के एसेट्स बेचे जाएंगे। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन का उद्देश्य ब्राउनफील्ड परियोजनाओं में निजी क्षेत्र को शामिल करना और उन्हें राजस्व अधिकार हस्तांतरित करना है लेकिन इस परियोजना के तहत स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं किया जाएगा। जबकि निजीकरण में सरकार राजस्व अधिकार व स्वामित्व के अधिकार का हस्तांतरण निजी क्षेत्र को कर देती हैं।
भारत के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए और मूल्य बनाने में मुद्रीकरण मदद करेगा। यह सरकारी स्वामित्व को स्थानांतरित किए बिना निजी भागीदारी के नवीन तरीको को खोज करेगा।
सरकार का मानना है कि सार्वजनिक संपत्तियों को निजी निवेशकों को पट्टे पर देने से इन परिसंपत्तियों में फंसी मुक्त पूंजी को मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए सरकार ने एक सड़क परियोजना में हजारो रुपये निवेश किया है वार्षिक टोल राजस्व के माध्यम से अपने निवेश को पुनवृत्ति करने में दशकों लग सकते है। इसके बजाय सरकार निजी निवेशक को पट्टे पर देकर अपने निवेश का एक अच्छा हिस्सा वसूल कर सकती है।
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जॉन पॉम्बे मगुफुली. जॉन पोंबे जोसेफ मगुफुली (जन्म: 29 अक्टूबर 1959) तंजानिया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं। उन्होने तंजानिया में हुए राष्ट्रपति चुनावों में सीसीएम पार्टी के बैनर तले 58.46% मत प्राप्त करते हुए जीत दर्ज की। उन्होने इन चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री तथा विपक्ष के नेता, एडवर्ड लोवासा को पराजित किया। एडवर्ड लोसावा को कुल 39.97% मत प्राप्त हुए। इसके पूर्व वे वर्ष 2010 से तंजानिया के निर्माण मंत्री के पद पर कार्यरत थे। उसके पहले वे 1995 से 2000 तक उप निर्माण मंत्री 2000 से 2006 तक निर्माण मंत्री 2006 से 2008 तक भूमि और मानव बस्ती के मंत्री और 2008 से 2010 तक पशुधन एवं मत्स्य पालन मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। वे 1995 से लगातार तंजानियाई संसद के सदस्य हैं।
शिक्षा.
इन्होने 1988 में रसायन विज्ञान और गणित के साथ दार इस सलाम विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्ष १९९४ में रसायन विज्ञान में परास्नातक और २००९ में डॉक्टरेट की उपाधि दार इस सलाम विश्वविद्यालय से ही प्राप्त की।
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काला-गौरा भैरव मंदिर. काला-गौरा भैरव मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के पूर्वी भाग में आकाश को छूता हुआ सा प्रतीत होता है। यह मंदिर बहु मंजिला रूद्र भैरव का तांत्रिक मंदिर है, जो कि प्राचीन काल से विद्यमान है। इस मंदिर के लिए कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में यह मंदिर राजस्थान में जादू-टौनो, तंत्र-मंत्र एवं वशीकरण के लिए विख्यात था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो हाथी सुंड उठाकर खड़े हुए बने हुए हैं। यहाँ दो भैरव मंदिर है जिन्हें काला-गौरा भैरव के नाम से जाना जाता है, दोनों ही मंदिरों पर सुंड उठाये गजराज चित्रित है। इन मंदिरों को तामसी व राजसी शैली में निरूपित किया गया है। यह मंदिर प्राचीन सवाई माधोपुर शहर के मुख्य द्वार पर बने हुए हैं
Kal Bhairav Mandir - panchudala
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अफज़ल अहमद सैयद. अफज़ल अहमद सैयद (افضال احمد سيد) एक समकालीन उर्दू कवि और अनुवादक हैं जिन्हें दोनों शास्त्रीय और आधुनिक उर्दू काव्य अभिव्यक्ति की अपनी महारथ के लिए जाना जाता है।
1946 में, गाजीपुर, भारत में जन्मे, अफज़ल अहमद सैयद 1976 के बाद से कराची, पाकिस्तान में रहते हैं जहां वह एक कीटविज्ञानी के रूप में काम करते हैं। वह आधुनिक नज़्म संग्रहों के लेखक हैं: چھينی ہوئ تاريخ (छीनी हुए तारीख़, 1984), دو زبانوں ميں سزاۓ موت (दो ज़बानों में सज़ाए मौत , 1990), और روکوکو اور دوسری دنيائيں (रो को को और दूसरी दुनियाएँ, 2000). शास्त्रीय गज़लों एक अन्य संग्रह है خيمہُ سياہ (ख़ीमहु स्याह, 1988).
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हरजीत सिंह सज्जन. हरजीत सिंह सज्जन PC OMM MSM CD सांसद (जन्म 1970 या 1971) एक कनाडियाई लिबरल (उदारवादी) राजनीतिज्ञ, वर्तमान रक्षा मंत्री व दक्षिण वैंकुवर निर्वाचन क्षेत्र से हाउस ऑफ़ कॉमन्स, कनाडा के सांसद हैं। सज्जन संसद में पहली बार 2015 के संघीय चुनावों में चुने गये हैं। उन्होंने इस क्षेत्र से निवर्तमान सांसद कनाडा की कंज़र्वेटिव पार्टी के वेई यंग को हराया और ४ नवंबर २०१५ को जस्टिन ट्रूडो के मंत्रिमंडल में कनाडा के रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। राजनीति में आने से पहले सज्जन वैंकुवर पुलिस विभाग में गैंग अपराध शाखा में जाँच अधिकारी (डिटेक्टिव) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें अफगानिस्तान में स्थापित कनाडा के सैन्य बलों के लिये दी गई अपनी सेवा के लिये रेज़ीमेंटल कमांडर की पदवी भी मिली थी। सज्जन पहले सिख थे जिन्होंने कनाडा की किसी सैन्य रेज़ीमेंट की कमान संभाली थी।
प्रारंभिक जीवन.
हरजीत सिंह सज्जन का जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के बोम्बेली गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। जब वो पांच वर्ष के थे तभी उनका परिवार कनाडा चला गया। वो वैंकुवर में पले बढे और डॉक्टर कुलजीत कौर से शादी की जिनसे उन्हें एक बेटा व एक बेटी हैं।
सज्जन ने वैंकुवर पुलिस विभाग में ११ वर्षों तक अधिकारी के तौर पर काम किया। यहाँ विभाग के गैंग अपराध शाखा में जाँच अधिकारी (डिटेक्टिव) के पद पर रहते हुए उन्होंने अपना कार्यकाल खत्म किया।
सैन्य सेवा.
सज्जन ने १९८९ में सेना में शामिल हुए और लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर रहते हुए कैनेडियन थल सेना में अपनी सेवाएँ दीं। सेना में अपने कार्यकाल के दौरान वो कंधार में शाही कैनेडियन रेज़ीमेंट की पहली बटालियन में शामिल हुए। अपने कार्यकाल में उन्हें ४ बार विदेश भेजा गया, एक बार बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना और तीन बार अफगानिस्तान। २०११ में वो ब्रिटिश कोलम्बियन रेज़ीमेंट के कप्तान नियुक्त हुए। कांधार प्राँत में तालिबान का प्रभाव कम करने के लिए २०१३ में इन्हें मेरिटोरियस सर्विस मेडल से सम्मानित किया गया। उन्हें कैनेडियन पीसकीपिंग मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। वे ऑर्डर ऑफ मिलिटरी मेरिट सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं। ब्रिगेडियर जनरल डेविड फ्रेज़र ने कांधार अभियान में उन्हें "द बेस्ट सिंगल कैनेडियन इंटेलिजेंस एसेट" के रूप में मान्यता दी थी। वे ब्रिटिश कोलम्बिया के लेफ्टिनेण्ट गवर्नर के ऐड-डि-कैम्प भी रह चुके हैं।
कनाडा के रक्षा मंत्री.
हरजीत 2015 के चुनाव में वैंकूवर दक्षिण से चुनाव लड़े और निवर्तमान कंज़र्वेटिव साँसद वेई यंग को हराया। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने ४ नवंबर २०१५ को गठित प्रथम मंत्रिमंडल में हरजीत को रक्षा मंत्री के पद की जिम्मेदारी दी।
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खडकवासला बाँध. खडकवासला महाराष्ट्र के पुणे शहर से २० किमी दूरी पर स्थित एक बाँध है। यह मुठा नदी पर निर्मित है।
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मारियो जे मोलिना. मारियो जोसेफ मोलिना (; जन्म १९ मार्च १९४३) एक मैक्सिकन रसायनशास्त्री और शिक्षाविद हैं। इन्हें क्लोरोफ्ल्यूरो कार्बन द्वारा ओजोन ह्रास की खोज और इसके लिये मॉडल विकसित करने के लिये जाना जाता है और इसके लिये इन्हें वर्ष 1995 का रसायन के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार दिया गया था।
कैलिफोर्निया विश्विद्यालय में कार्य करते हुए फ्रैंक शेरवुड रॉलैंड के साथ मिलकर मोलिना ने एक मॉडल विकसित किया जिसे रॉलैंड-मोलिना मॉडल के नाम से जाना जाता है।
वर्ष २००३ में ह्यूमनिस्ट मैनिफेस्टो पर दस्तखत करने वाले २२ नोबल प्राप्त वैज्ञानिकों में मोलिना भी शामिल थे।
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न्यू यॉर्क हिल्टन मिडटाउन. न्यू यॉर्क हिल्टन मिडटाउन, न्यू यॉर्क शहर का सबसे बड़ा और विश्व का १०१वाँ सबसे उँचा होटेल (सराय) है। इस होटेल का मालिकाना हक एवं प्रबंधन का अधिकार हिल्टन वर्ल्डवाइड नाम की कंपनी के पास है।
इसकी ४७ मंज़िल उँची इमारत रॉकेफेलर सेंटर के उत्तरपूर्वी छोर पर "सिकस्थ एवन्यू और 53 स्ट्रीट" पर स्थित है। इस होटेल में जॉन एफ. केनेडी एवं उसके बाद के सभी अमेरिकी राष्ट्रपति अतिथि के तौर पर रह चुके है। १९६४ में महान कलाकार समूह बीटल्स भी अपने एड सलिवन थियेटर की यात्रा के दौरान यहाँ ठहरा था। १९७३ में दुनिया का सबसे पहला मोबाइल फोन कॉल भी इसी होटेल के अतिथि मार्टिन कूपर द्वारा इस होटेल के सामने से किया गया था।
इतिहास.
इस परियोजना को हिल्टन होटेल्स कॉर्पोरेशन, द रॉकेफेल्लर ग्रूप, और द उरीस बिल्डिंग कॉर्पोरेशन द्वारा संयुक्त रूप से पूरा किया गया था। इसके असली वास्तुकार मॉरिस लापिडूस थे जिन्होने इसे फॉंटनब्ल्ट होटेल बिल्डिंग की संरचना के अनुसार वक्राकार रूप में बनाने का प्रस्ताव रखा था। परंतु लापिडूस को इस योजना से हटना पड़ा क्योंकि वे पास ही में एक दूसरे होटेल "अमेरिकाना होटेल" (वर्तमान में द शेरेटन "न्यूयॉर्क होटेल एंड टावर्स" की संरचना पर भी काम कर रहे थे।
इसके बाद विलियम बी. टैबलर को इस कार्य के लिए अनुबंधित किया गया एवं उन्होने इसको स्लैब के आधार पर डिज़ाइन किया। इसका उद्घाटन २६ जून, १९६३, को किया गया और उस समय यह २,१५३ कमरो के साथ न्यूयॉर्क सिटी शहर का सबसे बड़ा होटेल था।
हिल्टन होटेल्स एंड रिज़ॉर्ट्स का यह दावा है कि इंग्लेंड के महान गीतकार और संगीतकार जॉन लेनन द्वारा १९७१ में रचित इमेजीन नाम के गीत के बोल इसी होटेल में लिखे गया थे।
यह होटेल अपने पश्चिमी भाग के पास वाली उस इमारत की भी मालिक है जहाँ अडेल्फी थियेटर था और जिसमे द हनिमूनर्स नाम के धारावाहिक के कुछ एपिसोड की शूटिंग हुई थी। १९७० में अडेल्फी थियेटर को गिरा दिया गया। इस स्थान पर १९८९ में १३२५ "एवन्यू ऑफ द अमेरिकास नाम" के कार्यालय भवन का निर्माण किया गया। यह भवन होटेल से एक गलियारे के द्वारा जुड़ा हुआ है और "के सिकस्थ एवन्यू" वाले पते का ही उपयोग करता है जबकि यह सेवेन्थ एवन्यू के ज़्यादा नज़दीक है।
१९९० में १ करोड़ डालर की लागत से किए गये नवनिर्माण के बाद होटेल के कमरों की कुल संख्या घट कर १९८० हो गई। इस होटेल का ११९१-९४ में फिर से नवनिर्माण किया गया और ११९८-२००० में एक बार फिर से १ करोड़ डालर के खर्चे के साथ किए गये नवनिर्माण से इसकी लॉबी का कायापलट हो गया। साथ ही पाँचवे तल पर ८०० वर्ग फ़ुट (७४० वर्ग मीटर) वाला "प्रेकॉर यूएसए" नाम का एक फिटनेस सेंटर भी बनाया गया।
इसी समय के आसपास इस होटेल का नाम बदलकर हिल्टन न्यू यॉर्क कर दिया गया क्योंकि हिल्टन समूह की उस समय की प्रचार योजना के अनुसार होटलों के नाम के पहले शहर का नाम लगाने का प्रचलन चल रहा था। २००७ में हुए चौथे नवनिर्माण के साथ ही होटेल में ४२ से लेकर ४४ तल पर ४७ सूईट बनाए गये।
२०१३ में इसकी ५०वीं वर्षगाँठ के अवसर पर होटेल का नाम पुनः बदल कर न्यू यॉर्क हिल्टन मिडटाउन कर दिया गया। साथ ही साथ होटेल ने कमरों में खाना पहुचाने का नियम भी ख़त्म कर दिया। एक नये रेस्तराँ की स्थापना की गयी जिसने "हर्ब एण्ड किचन" से नाम अपनी एक अलग रूम डेलिवरी शुरू की।
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क्रोएशिया एयरलाइन्स. क्रोएशिया एयरलाइन, क्रोएशिया देश की प्रमुख राष्ट्रीय एयरलाइन है। इस का मुख्य कार्यालय जगरेब शहर के निकट बुज़ीन नाम के स्थान पर है।यह युरोप स्थित कई सारे गंतव्यो हेतु उड़ानो का संचालन करती है। इसका मुख्य परिचालन केंद्र जगरेब इंटरनॅशनल एयरपोर्ट और इसके मुख्य उड़ान स्थल डुब्रॉवनिक, स्प्लिट, और ज़ेडार हैं। नवंबर २००४ से क्रोएशिया एयरलाइन, स्टार एलायंस नाम की एक प्रमुख एयरलाइन समूह की सदस्य है।
अपने २५ साल के सेवा कल के दौरान क्रोएशिया एयरलाइन की छवि एक मध्यम आकार के एयरलाइन की है, जो की अपनी उड़ान सुरक्षा, यात्री सेवा की गुणवत्ता एवं इसके कर्मचारियो के पेशेवर कौशल के लिए सराही जाती है। यह युरोप के लगभग सभी गंतव्यों के लिए छोटी एवं लंबी दोनो तरह की उड़ानो का संचालन करती है।। क्रोएशिया एयरलाइन का अपने देश के पर्यटन में खास योगदान है क्योंकि क्रोएशिया आने वाले लगभग एक तिहाई पर्यटक इस एयरलाइन के उड़ानो द्वारा ही आते हैं। साथ ही २०१४ के आँकड़ो अनुसार के यह क्रोएशिया की चौथी सबसे बड़ी निर्यातक भी है।
इतिहास.
आरंभिक वर्ष.
इस एयरलाइन की स्थापना २० जुलाई १९८९ को की गयी थी और तब इसका नाम ज़गाल (जगरेब एयरलाइन) था। शुरू में इसके पास सिर्फ़ एक सेस्ना ४०२ विमान था जो के यू पी एस कंपनी के लिए मालवाहक कार्य करता था। क्रोएशिया में पहले लोकतांत्रिक चुनाव के बाद इस का नाम २३ जुलाई १९९० से क्रोएशिया एयरलाइन कर दिया गया।
२००० के बाद की घटनाएँ.
सन २००० में दो और एयरबस विमान इसके बेड़े में शामिल किए गये और पहली बार स्वचालित टिकट प्रणाली का उपयोग शुरू किया गया। २००१ में इस एयरलाइन को जर्मन विमानन प्राधिकरण लूफ़्थफहर्त-बूंदेसांत द्वारा रखरखाव और तकनीकी कृत्य का प्रमाण पत्र मिला। १८ नवंबर २०१४ को क्रोएशिया एयरलाइन, स्टार एलायंस में शामिल हो गई।
मार्च २००९ तक कंपनी ने १९९३ में शामिल किए गये कम दूरी वाले तीन एटीआर 42 विमानो को अपने बेड़े से हटा दिया और इनकी जगह ६ बॉंबर्डियर डैश 8 क्यू400 एस विमान शामिल किए गये। इनमे से पहला विमान मई २००८ में शामिल किया गया।
२२ अक्तूबर २००८ को क्रोएशिया एयरलाइन और एयरबस ने १३२ सीटों वाले चार और ए ३१९ विमानो को शामिल किए जाने को घोषणा की जो कि २०१३ तक बेड़े में शामिल कर लिए जाने थे।
कंपनी संबंधित मामले.
स्वामित्व.
९९.७२% की हिस्सेदारी के साथ क्रोएशिया एयरलाइन की सबसे बड़ी शेयरधारक क्रोएशिया की सरकारी असेट मॅनेज्मेंट एजेन्सी है। जबकि जगरेब एयरपोर्ट एलएलसी लिमिटेड की साझेदारी १.७२% है। क्रोएशिया की स्टेट एजेन्सी फॉर डेपॉज़िट इन्षुरेन्स आंड बॅंक रीहॅबिलिटेशन के पास ०.७६% शेयर हैं तथा ०.५०% की साझेदरी आम जनता के पास है।
सहायक कंपनिया.
अपने मुख्य कारोबार के साथ साथ क्रोएशिया एयरलाइन के पास कई विमानन संबधी सहायक कंपनिया भी है . जैसे कि :-
कोड साझेदारी समझौते.
वर्तमान क्रोएशिया एयरलाइन की कई सारे एयरलाइन के साथ कोड साझेदारी समझौते है। जैसे कि
विमान दस्ता.
जुलाइ २०१५ की ताज़ा जानकारी के अनुसार के विमान दस्ते में निम्नांकित विमान शामिल थे, जिनकी औसत आयु ११.५ वर्ष है।
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जिवा महाला. जीवाजी महाला उस समय की सबसे खतरनाक जाती नाई जाती से आते थे तथा यह महान राजा महापदम नंद के वंशज भी थे एक तथ्य यह भी कहा जाता है की "राम जी चले ना हनुमान के बिना " छत्रपति शिवाजी चले ने जीवाजी महाले के बिना
जीवाजी महाला उस समय की सबसे खतरनाक जाती नाई जाती से आते थे तथा यह महान राजा महापदम नंद के वंशज भी थे एक तथ्य यह भी कहा जाता है की "राम जी चले ना हनुमान के बिना " छत्रपति शिवाजी चले ने जीवाजी महाले के बिना "
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सीताराम लालस. डॉ० सीताराम लालस (29 दिसम्बर 1908 - 29 दिसम्बर 1986) भारत के प्रख्यात कोशकर्मी तथा भाषाविज्ञानी थे। उन्होने राजस्थानी का पहला शब्दकोश निर्मित किया जिसका नाम 'राजस्थानी सबदकोश' हैं। उन्होने 'राजस्थानी-हिन्दी वृहद कोश' की भी रचना की। एनसाइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटेनिका ने सीताराम लालस को 'राजस्थानी जुबां की मशाल' कहकर संबोधित किया।
भारत सरकार ने सीताराम लालस को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
सीताराम लालस का जन्म अपने ननिहाल बाड़मेर जिले के सिरवाडी ग्राम में 25 नवम्बर , 1912 को हुआ था। इन्होंने आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के साथ ही अध्यापक की नौकरी कर ली। बाद में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। लालस मूलतः जोधपुर जिले के नरेवा ग्राम के निवासी थे। 1932 ई . में जयपुर के विख्यात साहित्यकार पुरोहित प्रताप नारायण ने बूंदी के पंडित सूर्यमल्ल मिश्रण के पुत्र मुरारोदन का डिंगल कोश उन्हें समीक्षा के लिए भिजवाया । युवा लालस ने डिंगल कोश की उपादेयता पर सक व्यक्त करते हुए उसकी तीखी आलोचना कर डाली। इस पर पुरोहितजी ने उन्हें एक पत्र लिखकर समझाया कि दिल्ली अभी दूर है, तुम्हें बातें कम और काम अधिक करना चाहिये। बस यही सीख उनके जीवन का मूलमंत्र बन गयी और वे मन ही मन यह संकल्प ले बैठे कि उन्हें राजस्थानी का एक ऐसा शब्दकोश तैयार करना है जिसमें राजस्थानी भाषा का कोई भी शब्द नहीं छूटने पाये ।
अपने इस संकल्प को मूर्तरूप देने में लालस जी अपना परिवार, व्यक्तिगत जीवन और सुख-सुविधायें सब भूल गये और लगभग आधी सदी तक कठोर साधना कर जो कोश तैयार किया उसे देखकर आने वाली पीढ़ियाँ सचमुच आश्चर्य करेंगी कि कैसे एक मामूली और साधनविहीन व्यक्ति ने दस जिल्दों में दो लाख से अधिक शब्दों का यह राजस्थानी शब्द कोश का अमर ग्रंथ तैयार किया होगा। राजस्थान साहित्य अकादमी ने 1973 ई० में उन्हें साहित्य मनीषी , 1976 ई० में जोधपुर विश्वविद्यालय ने डी० लिट् को मानद उपाधि तथा भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1977 को पद्मश्री से उन्हें अलंकृत किया।
29 दिसम्बर 1986 के उनका जोधपुर में निधन हो गया।
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